अाेपिनियन पाेस्ट । 
बिहार के मुजफ्फरपुर में बालिका गृह की बच्चियों से रेप का मामला अभी सुर्खियों में ही है कि यूपी के देवरिया में ऐसा ही मामला सामने आने के बाद सूबे में सियासी पारा गरम हाे गया  है। एक शेल्टर होम से 24 बच्चियों को छुड़ाया गया है और 18 लड़कियां गायब हैं। कुछ बच्चियों ने शेल्टर होम में संदिग्ध गतिविधियों का खुलासा भी किया है।

सोमवार को महिला एवं बाल विकास विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार और एडीजी अंजू गुप्ता जब जानकारी मिलने पर वहां पहुंचीं तो लड़कियों ने उनके सामने आश्रय गृह को लेकर एक के बाद एक खुलासे किए। बस्ती की एक युवती ने बताया कि यहां से लड़कियों को विदेश तक भेजा जाता था। बता दें कि एक बच्ची सबसे पहले यहां से भागने में कामयाब रही और उसने बताया- एक दीदी बाहर जाती थी। बड़ी मम्मी ले जाती थी। नहीं जाती थी तो नकाब बांधकर ले जाया जाता। कभी सफेद कार ताे कभी  काली अाैर लाल रंग की कार अाती थी। सुबह जब दीदी आती थी तो खूब रोती थी उनका आंख फूल जाती थी, कुछ नहीं बताती थी। दूसरी बच्ची ने कहा कि जो बड़ी लड़कियां थीं, उनके साथ गलत काम होता था, हम लोगों को भी गोरखपुर ले जाती थीं।  देवरिया के मां विंध्यवासिनी प्रशिक्षण सामाजिक सेवा संस्थान में यौन शोषण के आरोपों के बाद योगी सरकार ने प्रशासन पर कार्रवाई की है। देवरिया के जिलाधिकारी को फौरन सस्पेंड करने का आदेश दे दिया गया है। साथ ही देवरिया के पूर्व प्रोबेशन अफसर अभिषेक पांडे को भी सस्पेंड करने के आदेश दिए गए है।  इसके अलावा दो और पूर्व अफसरों पर भी गाज गिरी है। शेल्टर होम की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी और उसके पति मोहन त्रिपाठी की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। होम को सील कर दिया गया है। इधर, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने आगाह किया है कि आश्रयगृहों में नाबालिग लड़कियों के शोषण के कई और मामले हो सकते हैं जिनका खुलासा किये जाने की जरूरत है और राज्यों से अनुरोध किया कि गैर सरकारी संगठनों द्वारा बच्चों के ‘उत्पीड़न और गलत इस्तेमाल’ को रोकने के लिये एकल, व्यापक व्यवस्था बनाएं।

Girija Tripathi accused of deoria case has got many honors by officers

त्रिपाठी दंपत्ति है मास्टर माइंड 
देवरिया कांड की आरोपी संस्था संचालिका गिरिजा त्रिपाठी हमेशा से अफसरों की करीबी रही। जिले में पदस्थ कई अफसरों से नजदीकी जगजाहिर है। कई डीएम-एसपी तो संस्था पर इस कदर मेहरबान हुए कि नारी संरक्षण के क्षेत्र में काम करने के बदले कई अहम सम्मान भी दिलाए। अब इसे इन संबंधों का लाभ ही कहा जा रहा कि चंद वर्षों में ही गिरिजा त्रिपाठी की संपत्ति कई गुना बढ़ गई। गिरिजा के संबंधों का पुलिस को भली-भांति आभास था। यही कारण रहा कि छापामारी के तत्काल बाद देर रात ही आनन-फानन में एसपी को प्रेस कांफ्रेंस बुलानी पड़ी। एसपी ने संपत्ति की भी जांच कराने की बात कही है।

मूल रूप से नूनखार गांव निवासी मोहन त्रिपाठी भटनी चीनी मिल में काम करते थे। करीब ढाई दशक पूर्व इनकी पत्नी गिरिजा त्रिपाठी ने मां विंध्यवासिनी संस्था की स्थापना की, जिसके अंतर्गत बाद में बालगृह बालिका, बाल शिशु गृह सहित अन्य आश्रय गृह खुले। रविवार की कार्रवाई से पहले लोग उन्हें बच्चों के संरक्षण और नारी अधिकारों के लिए संघर्ष के रूप में ही पहचानते रहे, मगर अब नया चेहरा उजागर होने से लोग भौचक हैं। बालिका गृह संचालिका के नाते गिरिजा त्रिपाठी को विभिन्न कार्यक्रमों में अफसरों ने सम्मानित किया।

पुलिस लाइन में तत्कालीन एसपी व बस्ती के डीआईजी राकेश शंकर के कार्यकाल में महिला ऐच्छिक ब्यूरो में गिरिजा त्रिपाठी को बड़ी भूमिका दी गई, लेकिन रोहन पी कनय के एसपी बनने के बाद उनकी दखलअंदाजी कम हो गई। बीते चार-पांच वर्षों में गिरिजा व मोहन त्रिपाठी जमीन खरीदकर भवन का निर्माण कराया है। गिरिजा का बेटा परिषदीय स्कूल में शिक्षक है और इनकी बेटी नारी संरक्षण गृह में ही काम करती है। देह व्यापार का भंडाफोड़ होने के बाद गिरिजा की बेटी फरार है।

1 साल पहले ही रद्द हो गई थी शेल्टर होम की मान्यता

जांच के शेल्उटर हाेम में बच्चियाें के साथा हुए जुल्मो-सितम और अवैध धंधे के प्रमाण सामने आ रहे हैं। अब तक की जांच में पता चला है कि इस नारी संरक्षण गृह में न सिर्फ लड़कियों को जबरन देह व्यापार में लगाया गया, बल्कि ये पूरा संस्थान ही अवैध रूप से चल रहा था। दरअसल, इस संस्थान की जांच में अनियमितता पाई गई थी। जिसके बाद पिछले साल इसकी मान्यता रद कर दी गई। देवरिया के डीपीओ ने बताया कि मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाजिक सेवा संस्थान द्वारा संचालित नारी संरक्षण गृह में पहले भी अनिमियतता पाई गई थी, उसके आधार पर इनकी मान्यता स्थगित कर दी गई थी। शासन से ये आदेश भी हुआ था कि सभी बच्चों को यहां से ट्रांसफर कर दिया जाए। इस आदेश के बावजूद संस्थान में लड़कियों को जबरन रखा गया। यहां तक कि संस्थान में रजिस्टर्ड बच्चियों का सही रिकॉर्ड तक नहीं है।

गिरिजा काे लड़कियां कहती थीं बड़ी मम्मी

महिला प्रशिक्षण संस्थान चलाने वाली गिरजा त्रिपाठी को बच्चियां बड़ी मम्मी कहती थीं और बड़ी मम्मी ममता को कलंकित करते हुए इन बच्चियों से धंधा करवाती थी। कभी देवरिया तो कभी गोरखपुर में अय्याशों की हवस मिटाने के लिए ये बच्चियां भेजी जाती थीं। यहां से एक बच्ची जुल्म की जंजीरें तोड़कर भाग निकली और किसी तरह वो महिला थाने पहुंच गई। पुलिस को जब उसने आपबीती सुनाई तो उसकी नींद खुली। थानेदार ने एसपी को फोन किया और फिर पुलिस फोर्स फौरन संस्थान के लिए कूच कर गई। संस्थान पर छापा मारा गया और 24 लड़कियों को पुलिस ने इस संस्थान के नरक से छुड़ा लिया। पुलिस ने बताया कि संरक्षण गृह की सूची में 42 लड़कियों के नाम दर्ज हैं, लेकिन छापे में मौके पर केवल 24 मिलीं। बाकी 18 लड़कियों का पता लगाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बिहार के बेतिया जिले की 10 साल की बच्ची रविवार देर शाम किसी तरह संरक्षण गृह से निकलकर महिला थाने पहुंची. वहां उसने संरक्षण गृह की अनियमितताओं के बारे में जानकारी दी। बच्ची के मुताबिक, वहां शाम चार बजे के बाद रोजाना कई लोग काले और सफेद रंग की कारों से आते थे और मैडम के साथ लड़कियों को लेकर जाते थे, वे देर रात रोते हुए लौटती थीं। संरक्षण गृह में भी गलत काम होता है।

पूर्व पुलिस अधिकारी के नाम की चर्चा
एक युवती ने बताया कि शेल्टर होम में रात को अक्सर जिले के बड़े अधिकारी आते रहते थे, जिसमें पूर्व में यहां रह चुके पुलिस के एक आला अधिकारी का नाम खासा चर्चा में है। एक बच्ची ने जब उन पुलिस अधिकारी का फोटो मोबाइल में देखा तो पहचान लिया और कहा कि यह अंकल तो अक्सर रात को आते थे और यहीं रुक जाते थे।