नई दिल्ली।

पटियाला हाउस कोर्ट ने 29 अक्टूबर, 2005 को धनतेरस के मौके पर दिल्ली में हुए सीरियल ब्लास्ट मामले में किसी को भी ब्लास्ट का दोषी नहीं माना। तीन में से 2 आरोपियों मोहम्मद रफीक शाह और मोहम्मद हुसैन फाजली को बरी कर दिया गया है। तीसरे आरोपी तारिक अहमद को कोर्ट ने दोषी माना लेकिन गैरकानूनी गतिविधि चलाने के आरोप में। उसे 10 साल सजा सुनाई गई जो वह पहले ही काट चुका है।

दिल्ली को दहलाने वाले इस आतंकी हमले में लोग 11 साल से इंसाफ के इंतजार में थे। लश्कर ए तैयब्बा के कथित आतंकी तारिक अहमद डार सहित 3 लोगों पर देशद्रोह,  हत्या जैसे संगीन अपराध में मुकदमा चलाया गया।

सरोजनी नगर मार्केट, पहाड़गंज सहित तीन जगहों पर हुए एक के बाद एक धमाके में 62 लोगों की मौत हुई थी और 200 से अधिक घायल हो गए थे। पटियाला हाउस कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रितेश सिंह ने हाल ही में सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था।

अदालत ने इन आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए 2008 में आरोप तय किया था। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने 250 से अधिक गवाहों के अलावा आरोपियों के फोन कॉल डिटेल, फोरेंसिक रिपोर्ट अदालत में साक्ष्य के तौर पर पेश किया था।

पुलिस ने चार्जशीट में इन पर देश के खिलाफ जंग छेड़ने, साजिश रचने, हथियार जुटाने, हत्या और हत्या की कोशिश के आरोप लगाए थे। तारिक को हमले का मास्टरमाइंड बताया था। पुलिस का दावा था कि डार और बाकी आरोपी लश्कर-ए-तैयबा के संपर्क में थे। मामले में 250 से ज्यादा गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे।

तीन जगहों पर हुए थे धमाके

29 अक्टूबर को दिल्ली के सरोजनी नगर, कालकाजी और पहाड़गंज में धमाके हुए थे। पुलिस ने इस मामले में 3 अलग-अलग केस दर्ज किए थे। एक ही धमाके में 50 लोग मारे गए थे। धमाके दीपावली से एक दिन पहले हुए थे, लिहाजा पूरा शहर जश्न और खरीददारी में जुटा था। बाजारों में भीड़ थी।

पहला धमाका शाम 5:38 बजे पहाड़गंज में हुआ, जिसमें 10 लोगों की मौत हुई और करीब 60 लोग घायल हुए। दूसरा धमाका शाम 6:00 बजे गोविंदपुरी में हुआ, जिसमें 4 लोग घायल हुए। तीसरा धमाका सरोजनी नगर में शाम 6:05 बजे हुआ। इसमें सबसे ज्‍यादा 50 लोगों की मौत हुई थी।