कौन कसेगा नकेल?

सरकार ने 2016 में बाबुओं के लिए अचल संपत्ति रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया सरल बना दी थी, लेकिन उनके रवैये में बहुत बदलाव नहीं आया है. 2018 के लिए अचल संपत्ति रिटर्न (आईपीआर) दाखिल करने की समय सीमा समाप्त होने के बावजूद 340 आईएएस अधिकारियों ने अभी तक अपना विवरण दर्ज नहीं कराया है. 2018 के लिए आईपीआर जमा करने की अंतिम तिथि 31 जनवरी थी. सूत्रों का कहना है कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने कई रिमाइंडर भेजे हैं. 7 फरवरी 2019 को जारी नवीनतम रिमाइंडर सभी राज्यों को भेजा गया था, जिसमें चेतावनी थी कि संपत्ति के विवरण प्रस्तुत करने में आई विफलता के गंभीर परिणाम हो सकते हैं. जाहिर तौर पर, अनिवार्य आईपीआर दाखिल करने में विफल रहे आईएएस अधिकारियों को समावेशन या प्रतिनियुक्ति के लिए आवश्यक सतर्कता मंजूरी से वंचित किया जा सकता है. स्पष्ट रूप से यह एक ऐसा कार्य है, जो बाबू अनिच्छा से करते हैं. चुनाव नजदीक है और देखना है कि क्या अगली सरकार इस पर कोई कड़ा रुख अपनाती है या नहीं?

गृह मंत्रालय से परेशान बाबू

गृह मंत्रालय ने तमिलनाडु के मुख्य सचिव से स्पष्टीकरण मांगा है कि कैसे 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी टीके राजेंद्रन पुलिस महानिदेशक बने हुए हैं, क्योंकि उन्हें दो साल पहले सेवानिवृत्त हो जाना चाहिए था. पुलिस अधीक्षक, पुलिस उप महानिरीक्षक, पुलिस महानिरीक्षक और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के रैंक में आईपीएस अधिकारियों के चार बैचों को प्रमोट करने के राज्य सरकार के प्रस्ताव का जवाब देते हुए गृह मंत्रालय ने कुछ सवाल उठाए थे. सूत्रों के मुताबिक, राज्य के अधिकारी गृह मंत्रालय के सवालों से हैरान हैं. बताया गया है कि जिस दिन सेवानिवृत्त होना था, उसी दिन राजेंद्रन को पुलिस महानिदेशक नियुक्त कर दिया गया. उन्हें प्रकाश सिंह मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार दो साल के कार्यकाल का लाभ मिला. संघ लोक सेवा आयोग भी इस प्रक्रिया का हिस्सा था. गृह मंत्रालय ने यह भी पूछा है कि केंद्र के अनुमोदन के बिना आईपीएस अधिकारियों को दो साल से अधिक समय तक पूर्व कैडर के पदों पर कैसे रखा गया है. आईपीएस अधिकारियों को पदोन्नति देने की सिफारिश करने वाले राज्य सरकार के प्रस्ताव में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए दो अधिकारियों, बी बालनगादेवी और डी अभिनव कुमार को संदर्भित किया गया था. बताया गया कि उक्त अधिकारी क्रमश: तेलंगाना एवं बिहार में अंतर कैडर प्रतिनियुक्ति पर थे और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के तहत नहीं लाए जा सकते थे. जाहिर तौर पर, कई अधिकारी केंद्र की मंजूरी के बिना पूर्व कैडर पदों पर दो साल से अधिक समय से सेवा दे रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि तमिलनाडु के लिए यह कोई अनोखा मामला नहीं है.

सचिवों की तलाश

सरकारी नौकरी चाहिए या केंद्रीय सेवाओं से सेवानिवृत्ति के बाद क्या आप अभी भी अपने काम के दिनों को याद करते हैं? कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने अस्थायी रूप से एक रास्ता खोला है, जिसमें सेवानिवृत्त निजी सहायक (पीए) और केंद्रीय सेवाओं में काम करने वाले निजी सचिवों (पीएस) को अब विभाग में आशुलिपिक के रूप में काम करने का अवसर मिल सकता है. सूत्रों के मुताबिक, डीओपीटी ने एक सर्कुलर जारी किया है कि इच्छुक लोग आवेदन कर सकते हैं. कथित तौर पर ये नियुक्तियां शुरू में छह महीने की अवधि के लिए होंगी. वेतन अंतिम वेतन माइनस पेंशन के आधार पर मासिक तौर पर दिया जाएगा. हालांकि, अन्य भत्तों का भुगतान नहीं किया जाएगा. सर्कुलर के अनुसार, ऐसे सेवानिवृत्त कर्मियों की नियुक्ति विशुद्ध रूप से अस्थायी आधार पर होगी, जिसे संबंधित ग्रेड में रिक्तियों के आधार पर हर महीने बढ़ाया जा सकता है. आवेदन करते समय सेवानिवृत्त कर्मियों को अंतिम वेतन प्रमाणपत्र, बैंक विवरण आदि देना होगा.