नई दिल्ली। भारत को ओलंपिक में दो बार मेडल दिला चुके पहलवान सुशील कुमार की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) और खेल मंत्रालय को नोटिस जारी किया है। नोटिस में कोर्ट ने रेसलिंग फेडरेशन को सुशील कुमार को बुलाकर बात करने के लिए कहा है। साथ ही यह भी कहा कि फेडरेशन पूरे मामले को विस्तृत नजरिए से देखे ताकि भविष्य में कोई समस्या न आए। फेडरेशन को पांच दिन के भीतर हलफनामा दायर कर अपना फैसला बताने का कोर्ट ने निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 27 मई को होगी।

सुशील ने सोमवार को हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अपनी याचिका में उन्होंने भारतीय कुश्ती महासंघ को चयन ट्रायल करवाने का निर्देश देने की कोर्ट से अपील की ताकि यह तय हो सके कि पुरुष वर्ग के 74 किग्रा फ्रीस्टाइल में रियो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कौन करेगा। इस वर्ग के लिए पहलवान नरसिंह यादव पहले ही क्वालीफाई कर चुके हैं। सुशील अब चाहते हैं कि नरसिंह से उनका मुकाबला हो और जो जीते वही ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करे। नरसिंह ने पिछले साल लास वेगास में वर्ल्ड चैंपियनशिप में 74 किग्रा में कांस्य पदक जीतकर ओलंपिक का कोटा हासिल किया था। चोटिल होने के कारण सुशील उसमें भाग नहीं ले पाए थे। रियो ओलंपिक पांच अगस्त से शुरू होगा और 21 अगस्त तक चलेगा।

फेडरेशन से सवाल

मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुशील ने कोर्ट से कहा कि वह नरसिंह यादव से रियो ओलंपिक में जाने से पहले एक मुकाबला चाहते हैं। उन्होंने ओलंपिक के लिए काफी तैयारी की है। इस पर फेडरेशन ने कहा कि सुशील ने नरसिंह से किसी भी तरह के मुकाबले को दो-तीन बार टाला है। ओलंपिक के लिए नरसिंह सुशील से बेहतर रेसलर हैं।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि सुशील देश के लिए खेल चुके हैं। नरसिंह यादव को भी उनकी योग्यता को ध्यान में रखकर चुना गया है। सुशील कुमार रेसलिंग फेडरेशन के लिए सम्मानित व्यक्ति होने चाहिए। फेडरेशन उनको बुलाकर उनसे बातचीत करे। कोर्ट ने पूछा कि फेडरेशन ने सुशील को बुलाकर क्यों सारी बातें नहीं बताईं। इसके जवाब में फेडरेशन ने कहा कि सुशील को सारी चीजें पता हैं लेकिन वो समझना ही नहीं चाहते।

ट्रायल के पक्ष में नहीं फेडरेशन

डब्ल्यूएफआई ने संकेत दिए हैं कि वह 74 किग्रा में ट्रायल करवाने के पक्ष में नहीं है। उसे डर है कि भारत ने जिन अन्य सात वजन वर्गों में कोटा हासिल किया है उससे जुड़े अन्य पहलवान भी ट्रायल की मांग कर सकते है। नियमों के मुताबिक कोटा किसी एक पहलवान को नहीं बल्कि देश को मिलता है। इसलिए उम्मीद की जा रही थी कि सुशील और नरसिंह में से किसी एक का चयन करने के लिए ट्रायल होगा। वैसे अभी तक का चलन कोटा हासिल करने वाले खिलाड़ी को ही ओलंपिक भेजने का रहा है।

सुशील ने इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा है। उनका पत्र अभी पीएमओ में पड़ा है। डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह ने कहा कि महासंघ इस मामले में सरकार के निर्देशों का इंतजार करेगा। इससे पहले खेल मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा था कि सरकार इसमें कुछ नहीं कर सकती। रेसलिंग फेडरेशन एक स्वायत्त संस्था है, वहीं अंतिम फैसला करेगा।

पहले मुझे मना क्यों नहीं कियाः सुशील

सुशील का कहना है कि सरकार ने उन पर काफी पैसा खर्च किया है। महासंघ ने भी उन्हें अभ्यास जारी रखने के लिए कहा था। अगर पहले ही फैसला कर लिया गया था कि कोटा हासिल करने वाला खिलाड़ी ही रियो ओलंपिक में जाएगा तो डब्ल्यूएफआई को मुझे कह देना चाहिए था और मेरा नाम सूची से हटा देना चाहिए था।

मैं ही बेहतरः नरसिंह

सुशील के कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर पहलवान नरसिंह यादव ने कहा है कि इसकी कोई जरूरत नहीं थी। 74 किलोग्राम वर्ग में मैं ही बेहतर रेसलर हूं। उन्होंने कहा कि इस मामले में वह कुश्ती महासंघ के निर्देशों का पालन करेंगे।