world cup 2019

पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तकरार बढ़ गई है. संबंधों की तल्खी का सीधा असर आगामी विश्व कप के दौरान 16 जून को होने वाले महा मुकाबले पर पड़ता दिख रहा है. यदि टीम इंडिया इस मैच के बहिष्कार का फैसला करती है तो जानिए किस पर होगा कितना असर इस रिपोर्ट में…

world cup 2019पुलवामा आतंकी हमले के बाद क्या आम क्या खास हर भारतीय के पास 16 जून के भारत-पाक मुकाबले को लेकर अपनी राय है. आम लोगों से इतर खास लोगों में देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी उन लोगों में शामिल हैं जो चाहते हैं कि भारत विश्व कप के दौरान पाकिस्तान के साथ मैच में नहीं खेले. सौरव गांगुली, हरभजन सिंह, गौतम गंभीर और वीवीएस लक्ष्मण जैसे पूर्व खिलाड़ी भी राजनाथ सिंह की राय के साथ खड़े दिखे. इन सबका मानना है कि खेल और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते. लेकिन दूसरी तरफ सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गजों की राय है कि भारत को पाकिस्तान को मैच के 2 अंक खैरात में नहीं देना चाहिए.

बीसीसीआई फिलहाल भारत-पाक मुकाबले को लेकर किसी तरह का ठोस निर्णय लेने की स्थिति में नहीं दिख रहा है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सीओए ने 22 फरवरी को एक बैठक के बाद आगामी विश्व कप में खिलाडि़य़ों, अधिकारियों और प्रशंसकों की सुरक्षा को मुद्दा बनाकर पत्र लिखा. इस पत्र में उसने आंतकवाद को शरण देने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी कर दी. इसके बाद अंतिम निर्णय के लिए गेंद सरकार के पाले में डाल दी. विनोद राय ने कहा 16 जून अभी दूर है और इस बारे में अंतिम फैसला सरकार से चर्चा करने के बाद ही लिया जाएगा.

क्या टीम इंडिया कर सकती है बहिष्कार ?

टीम इंडिया भारत सरकार के आदेश का पालन करते हुए विश्व कप में पाकिस्तान के नहीं खेलने का कदम उठा सकती है. विश्व कप के दौरान पहले भी ऐसा हुआ है जब किसी टीम या टीमों ने किसी एक देश की टीमों के खिलाफ खेलने से इंकार किया हो.  साल 1996 में भारत-श्रीलंका और पाकिस्तान की संयुक्त मेजबानी में खेले गए छठवें विश्व कप के दौरान ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की टीमों ने सुरक्षा कारणों से श्रीलंका जाने से इंकार कर दिया था. उस दौर में श्रीलंका में एलटीटीई का खौफ अपने चरम पर था.

बहिष्कार से भारत को हो सकता है नुकसान?

पाकिस्तान के खिलाफ मैच के बहिष्कार का भारत को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. साल 2021 में चैंपियंस ट्रॉफी और 2023 में विश्व कप भारत की मेजबानी में खेला जाना तय है. 2016 में भारत की मेजबानी में आयोजित टी-20 विश्व कप के दौरान आईसीसी को भारत सरकार द्वार टैक्स में छूट नहीं दिए जाने के कारण 23 मिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा था. आईसीसी ने बीसीसीआई से इस राशि की भरपाई करने को कहा है यदि वो ऐसा नहीं करती है तो भारत को 2023 विश्व कप की मेजबानी गंवानी पड़ सकती है. ऐसे में भारत पाकिस्तान के बीच रिश्तों में आई खटास का असर भी आईसीसी को भारत के हाथ से मेजबानी वापस लेने के लिए बाध्य कर सकती है.

 क्या पाकिस्तान को किया जा सकता है विश्व कप से बाहर ?

भारत की मांग पर आगामी विश्व कप से पाकिस्तान को बाहर किया जाना मुश्किल है. हालांकि बीसीसीआई द्वारा आईसीसी को लिखे पत्र का जवाब देते हुए आईसीसी के अध्यक्ष शशांक मनोहर ने कहा है कि वो इस मुद्दे आईसीसी बोर्ड के सामने रखेंगे. आईसीसी का संविधान सदस्यों को विश्व कप क्वालीफाई करने की स्थिति में आईसीसी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने का अधिकार देता है. सदस्य बोर्ड के सामने पाकिस्तान के खिलाफ प्रस्ताव रखे जाने पर भी बीसीसीआई को अन्य देशों से समर्थन मिलने की संभावना बेहद कम नजर आ रही है. आईसीसी बोर्ड में फिलहाल बीसीसीआई के पास बहुमत नहीं है. अगर इस पर वोटिंग होती है तो भारतीय बोर्ड को हार मिलना तय है. ऐसा होने की स्थिति में 2021 में चैंपियन्स ट्रॉफी और 2023 में विश्व कप की भारत की मेजबानी की संभावना पर भी गंभीर सवाल खड़े होंगे. हालांकि बीसीसीआई ने आगामी विश्व कप से संबंधित एमपीए या मेंबर्स पार्टिशिपेशन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. अभी भी भारत के पास विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेलने या ना खेलने का निर्णय करने का पूरा अधिकार है. क्योंकि भारत इस टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए अपनी शर्तें आईसीसी और मेजबान क्रिकेट बोर्ड के सामने रख सकता है.

क्या है भारत-पाकिस्तान मैच के पैसों का गणित?

क्रिकेट के मैदान पर भारत और पाकिस्तान के बीच खेला जाने वाला मुकाबला दोनों देशों के क्रिकेट प्रशंसकों के लिए जीने-मरने का सवाल है लेकिन विश्व कप के दौरान यह आईसीसी के लिए टकसाल साबित होता है. इस मैच पर आईसीसी की आमदनी का सारा गणित टिका है ऐसे में वह भी भारत द्वारा उठाए गए मुद्दे को सिरे से दरकिनार नहीं कर सकता है. साल 2015 में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की मेजबानी में आयोजित विश्व कप को दुनियाभर के 1.5 अरब लोगों ने टीवी पर देखा. दर्शकों की इस संख्या में सबसे बड़ी भागीदारी भारतीयों की थी.

भारत में तकरीबन 635 मिलियन यानी 63.5 करोड़ दर्शकों ने 11वें विश्व कप का लुत्फ उठाया था. इस दौरान भारत- पाकिस्तान के बीच लीग दौर में खेले गए मुकाबले को अकेले 288 मिलियन यानी 28.8 करोड़ भारतीय दर्शकों ने टीवी पर देखा था. इस मैच से ज्यादा दर्शक भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए सेमीफाइनल मुकाबले को मिले थे. इस मैच को  309 मिलियन यानी 30.9 करोड़ भारतीय दर्शकों ने देखा था. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आईसीसी के लिए भारतीय दर्शक कितने महत्वपूर्ण हैं. भारत के विश्वकप में नहीं खेलने या भारत पाक मुकाबले के नहीं होने से आईसीसी को अरबों का नुकसान उठाना पड़ेगा.

साल 2011 में भारत की मेजबानी में खेले गए विश्व कप के जरिए आईसीसी को 32.12 करोड़ अमेरिकी डॉलर (321.2 मिलियन) यानी तकरीबन 22 अरब रुपये की आमदनी हुई थी. इस आमदनी का मोटा हिस्सा प्रसारण अधिकार से हासिल हुआ था जिसमें अधिकांश कंपनियां वो भीं जिन्हें भारत में मोटी आमदानी होती है. आईसीसी की आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व कप 2015 से उसे 42.84 करोड़ अमेरिकी डॉलर (428.4 मिलियन) यानी 30 अरब रुपये की आमदमी हुई थी. ऐसे में इस बार विश्व कप 2019 से उसे 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर (500 मिलियन) यानी 35 अरब रुपये से ज्यादा की आमदनी होने का अनुमान है.

यदि भारतीय टीम विश्व कप का बायकॉट करती है तो आईसीसी को 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है. भारत विश्व कप से खुद को अलग करेगा या पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले का बहिष्कार करेगा इस बारे में फैसला बाद में सरकार की सलाह के बाद होगा. सीओए के अध्यक्ष विनोद राय ने कहा कि 16 जून अभी दूर है हम इस बारे में फैसला भारत सरकार की सलाह के बाद लेंगे.

खेल विशेषज्ञों का मानना है कि आईसीसी विश्वकप के तीन चौथाई दर्शक भारतीय हैं. ऐसे में टूर्नामेंट का प्रसारण करने वाले चैनल्स आईसीसी को इसके एवज में उतनी राशि नहीं देंगे जितने का दोनों के बीच समझौता हुआ है. इसका मतलब आईसीसी को सीधे तौर पर तकरीबन 35 अरब रुपये( 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर) का नुकसान उठाना पड़ेगा. ऐसे में टूर्नामेंट में खेलने वाली 10 टीमों को भी सीधे तौर पर 3.5 अरब रुपये (5 करोड़ अमेरिकी डॉलर) नुकसान होगा. ऐसे में निश्चित तौर पर आईसीसी परदे के पीछे निश्चित तौर पर पाकिस्तान पर दबाव बना रहा होगा कि वो अपनी तरफ से स्थिति को संभाले.

फाइनल से ज्यादा है भारत-पाक मुकाबले की मांग

आईसीसी के प्रबंध निदेशक स्टीव एलवर्थी ने भारत और पाकिस्तान के बीच आगामी विश्व कप में होने वाले महा-मुकाबले के बारे में कहा, ‘इस मुकाबले को लेकर प्रशंसकों में भारी उत्साह है.  इसका अनुमान आप इस बात से ही लगा सकते हैं कि 25 हजार की क्षमता वाले मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड स्टेडियम में 16 जून को खेले जाने वाले भारत-पाक मुकाबले को देखने के लिए 4 लाख से भी ज्यादा टिकटों के आवेदन आए हैं. ये सचमुच एक बहुत बड़ा आंकड़ा है. ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच होने वाला मैच हो या लॉर्डस में होने वाला विश्व कप का फाइनल, इन दोनों के मुकाबले भारत- पाकिस्तान मैच की मांग कहीं ज्यादा है.मेजबान इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाले मैच के लिए 2.3 से 2.4 लाख लोगों के आवेदन आए जबकि फाइनल मुकाबले का स्टेडियम में लुत्फ उठाने के लिए 2.7 लाख लोगों ने इच्छा जताई. आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं लीग दौर में भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाला मुकाबला दर्शकों के लिहाज से कितना बड़ा है जिसे मैदान पर स्टेडियम की क्षमता से 18 गुना लोग देखना चाहते हैं.

 रंगभेद की नीति तरह आतंकवाद के खिलाफ भी कड़ा कदम उठाए आईसीसी : विनोद राय

सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीसीसीआई के संचालन के लिए गठित प्रशासनिक समिति ने आईसीसी को पत्र लिखकर आग्रह किया है सभी सदस्य राष्ट्रों को ऐसे देशों से संबंध तोड़ देने चाहिए जो आंतकवाद फैला रहे हों. विश्व कप में भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले को सिर्फ एक मैच के लिहाज से नहीं बल्कि बड़े परिदृश्य में देखा जाना चाहिए क्योंकि ऐसी भी संभावना बन सकती है कि भारत उसके खिलाफ फिर से सेमीफाइनल या फाइनल में भिडऩा पड़े. अगर हम विश्व कप में पाकिस्तान से नहीं खेलते हैं तो खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार देंगे. हमारा उद्देश्य पाकिस्तान का क्रिकेट खेलने वाले देश के तौर पर प्रतिबंधित करने का है. पूर्व सीएजी ने दक्षिण अफ्रीका का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह 1970 से 1991 तक रंगभेद की नीति के कारण उसे प्रतिबंधित कर दिया गया था वैसा पाकिस्तान के साथ भी होना चाहिए.

 किसकी क्या है राय

भारत ने वल्र्ड कप में हमेशा पाकिस्तान के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया है अब फिर से उन्हें हराने का समय है. मैं निजि तौर पर उन्हें दो अंक देना पसंद नहीं करूंगा क्योंकि इससे टूर्नामेंट में उन्हें मदद मिलेगी. लेकिन मेरे लिए भारत सर्वोपरि है और मेरा जो देश फैसला करेगा मैं तहेदिल से उसका समर्थन करूंगा.

    -सचिन तेंदुलकर, पूर्व भारतीय कप्तान

पाकिस्तान के खिलाफ विश्व कप में न खेलकर भारत दो अंकों को नुकसान उठाएगा, क्योंकि विश्व कप में आज तक पाकिस्तान भारत से जीत नहीं सका है. ऐसे में हमें विपक्षी टीम को मैदान पर हराकर उसे टूर्नामेंट से बाहर करने के बारे में सोचना चाहिए. मैं देश के साथ हूं, सरकार जो भी फैसला करेगी, मैं पूरी तरह से उसके साथ हूं.

       -सुनील गावस्कर, पूर्व भारतीय कप्तान

पुलवामा हमले की घटना दुखद थी. दुख की इस घड़ी में हम देश के साथ हैं. हमले में मारे गए शहीदों के परिवारों के प्रति मेरी और टीम की संवेदनाएं हैं. पाकिस्तान के साथ विश्व कप में खेलने के संबंध में जो देश चाहता है और इस बारे में जो फैसला सरकार और बोर्ड लेंगे, हमें स्वीकार होगा.

        -विराट कोहली, कप्तान भारतीय क्रिकेट टीम

मुझे नहीं लगता कि बीसीसीआई की इस मुर्खतापूर्ण और बचकाना हरकत (पाकिस्तान पर प्रतिबंध) को आईसीसी स्वीकार करेगा, आईसीसी के संविधान के मुताबिक सभी सदस्यों को उन टूर्नामेंट्स में भाग लेने का अधिकार है जिनके लिए वो क्वालीफाई कर लेते हैं.

-जावेद मियांदाद, पूर्व कप्तान पाकिस्तान क्रिकेट टीम

खेल को राजनीति से दूर रखने की जरूरत है. भारत व पाकिस्तान में क्रिकेट के खूब पसंद किया जाता है और उन फैंस के लिए तय कार्यक्रम के मुताबिक ये मुकाबला होना चाहिए. क्रिकेट को राजनीतिक लाभ के लिए निशाना बनाया जा रहा है.

  -सरफराज अहमद, कप्तान पाकिस्तान क्रिकेट टीम