लखनऊ

यूपी की नई परिस्थिति में ढलकर कांग्रेस का चुनाव घोषणापत्र सामने आ गया है। छह महीने पहले कांग्रेस ने यूपी में बड़े जोर-शोर से अपना चुनाव अभियान शुरू किया था और 27 साल यूपी बेहाल का नारा दिया था। उस वक्त कांग्रेस पार्टी के निशाने पर सबसे अधिक उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी थी और खराब कानून व्यवस्था उनके लिए सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा था।

इस बीच समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन हुआ और देखते ही देखते सब कुछ बदल गया। जिन शीला दीक्षित को पार्टी ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था वह अपना दावा वापस ले चुकी हैं। कांग्रेस का हाथ अखिलेश की साइकिल को थाम चुका है। शायद यही वजह रही कि बुधवार को कांग्रेस ने जब लखनऊ में अपना घोषणापत्र जारी किया तो प्रहार सपा के बजाय भाजपा पर दिखा।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में 12 पेज के घोषणा पत्र को जारी करने के लिए मंच पर गुलाब नबी आजाद,  राज बब्बर, प्रमोद तिवारी,  निर्मल खत्री,  शीला दीक्षित और सलमान खुर्शीद समेत 13 नेता मौजूद थे। अलग बात यह है कि अब कांग्रेस का घोषणा पत्र यूपी को बेहाल नहीं बता रहा है बल्कि गठबंधन की सोच के दम पर उत्तर प्रदेश का पुराना गौरव वापस लाने के दावे कर रहा है। कांग्रेस के नेता यूपी को बांटने की चाहत रखने वाली पार्टियों को हराने की बात कर रहे हैं।

घोषणापत्र में पंचायत चुनाव में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण का वायदा किया गया है। शादी के वक्त लड़कियों को 50,000 से एक लाख रुपया देने की बात कही गई है। घोषणापत्र में नफरत फैलाने वाले अपराधियों के खिलाफ नए कानून की बात के साथ-साथ जाति और धर्म के आधार पर तनाव पैदा करने वालों के लिए कड़ी सजा का भी जिक्र है।

घोषणापत्र में कहा गया है कि किसी भी प्रकार की हिंसा के सभी पीड़ितों के लिए मुआवजा बोर्ड की स्थापना की जाएगी ताकि उनके परिवारजनों को कानूनी तौर पर मुआवजा मिल सके। हालांकि उत्तर प्रदेश के चुनाव में बीजेपी द्वारा तीन तलाक को बड़ा मुद्दा बनाने के सवाल पर गुलाम नबी आजाद कन्नी काट गए।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस चुनाव के समय किसी भी विवादास्पद मुद्दे को नहीं उठाना चाहती। उन्होंने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग से अपील करेंगे कि धर्म के आधार पर वोट जुटाने की कोशिश के लिए भाजपा के खिलाफ कार्रवाई की जाए।