नई दिल्‍ली।

सिक्किम सीमा पर भारत और चीन के बीच पिछले एक महीने से जारी गतिरोध बढ़ता ही जा रहा है। चीन ने हिंद महासागर में भी घुसपैठ शुरू कर दी है। वहां चीन की पनडुब्‍बी और युद्धपोत देखा जाना भारत के लिए खतरे की घंटी जरूर है लेकिन चीन का इरादा जाने बगैर किसी निष्‍कर्ष पर पहुंचना कठिन है। दरअसल, भारत-अमेरिका-जापान के बीच इस क्षेत्र में 7 जुलाई से संयुक्‍त अभ्यास ‘मालाबार’ होने वाला है। हो सकता है कि इस पर निगाह रखने के लिए चीन ने यह कदम उठाया हो।

सिक्किम के डोका-ला इलाके में आंख दिखाने के बाद चीन ने हिंद महासागर में अपनी पनडुब्‍बी भेजी है। यह इसलिए भी खास है कि चीन लगातार भारत को घेरने और उसको धमकाने की कोशिश कर रहा है। अफ्रीका के जिबूती में चीन का नौ‍सैनिक अड्डा,  श्रीलंका के बंदरगाह हम्बनटोटा और पाकिस्‍तान के ग्‍वादर पोर्ट पर चीन की मौजूदगी इसका एक उदाहरण है।

रक्षा जानकार सी उदय भास्‍कर इसको भारत के लिए फिलहाल कोई खतरा नहीं मानते हैं। उनके मुताबिक यदि चीनी पनडुब्‍बी भारतीय जल सीमा में काफी अंदर तक आ जाती है तो जरूर इसको खतरा माना जाएगा,  लेकिन यदि यह सौ मील या उससे अधिक की दूरी पर है तो इसको भारत के लिए खतरा मानना सही नहीं होगा।

चीन इस तरह की हरकत लगातार कर रहा है,  लिहाजा डरने की नहीं सतर्क रहने की जरूरत है। दिसंबर 2013 में पहली चीनी परमाणु पनडुब्बी को देखा गया था। शांग क्लास- न्यूक्लियर प्रोपेल्ड पनडुब्बी भारत के आसपास करीब तीन महीने फरवरी 2014 तक तैनात रही थी। 2014 में ही अगस्त से दिसंबर के बीच और तीन महीने तक सोंग क्लास-डीजल इलेक्ट्रिक-पनडुब्बी क्षेत्र में रही। इसके बाद हान क्लास परमाणु पनडुब्बी को देखा गया था। इसको भारत के आसपास के समुद्री क्षेत्र में तैनात किया गया था।

चीन की यह पनडुब्‍बी युआन क्लास की है। इस क्षेत्र में तैनात की गई चीन की यह 7वीं पनडुब्बी है। इतना ही नहीं, चीन की इस पनडुब्‍बी के साथ एक युद्धपोत को भी इस क्षेत्र में देखा गया है, जिसका नाम चोंगमिंगडाओ है। भारत की ओर से इस पनडुब्बी को हाल में भारतीय समुद्री क्षेत्र में प्रवेश करते देखा गया। भारतीय नौसेना ने चीनी नौसेना की ओर से भारतीय समुद्री क्षेत्र में गतिविधियां बढ़ने की जानकारी नई दिल्‍ली को भी भेज दी है।