ओपिनियन पोस्‍ट।

रसायन विज्ञान के क्षेत्र में इस बार नोबेल पुरस्‍कार के लिए तीन शख्सियतों अमेरिकी वैज्ञानिकों फ्रांसिस हेमिल्टन अरनॉल्ड, जार्ज स्मिथ और ब्रिटिश अनुसंधानकर्ता ग्रेगरी विंटर को चुना गया है। स्वीडिश रॉयल साइंस अकादमी ने अरनॉल्ड के योगदान के मद्देनजर उन्हें पुरस्कार की आधी राशि देने की घोषणा की है। बाकी की राशि जॉर्ज पी. स्मिथ और सर ग्रेगरी विंटर में बंटेगी। नोबेल पुरस्कार की कुल राशि 10 लाख डॉलर (लगभग 7 करोड़ 30 लाख रुपये) है।H Arnold

कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी में प्रोफेसर अरनॉल्ड ने एक ऐसे एंजाइम का विकास किया है, जिससे जीवाश्म ईंधन जैसे जहरीले रसायनों की समस्या से निपटने में काफी मदद मिलेगी। रसायन विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पाने वाली वह पांचवीं महिला हैं।

अकादमी की नोबेल रसायन कमेटी के प्रमुख क्लेस गुस्तफसन ने कहा कि तीनों वैज्ञानिकों ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रोटीन के इस्तेमाल के लिए क्रम विकास के उसी सिद्धांत का इस्तेमाल किया, जिसके जरिये आनुवांशिक बदलाव और चयन किया जाता है। उन्होंने कहा कि 2018 के नोबेल विजेताओं ने डार्विन के सिद्धांत को परखनली में उतारा।

फ्रांसिस हेमिल्टन अरनॉल्ड (62) का जन्‍म 25 जुलाई, 1956 को हुआ। वह कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में प्रोफेसर हैं। उन्होंने केमिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में काफी काम किया है। उन्हें नेशनल मेडल ऑफ टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन सहित कई पुरस्कार पुरस्कार मिल चुके हैं। 2016 में मिलेनियम टेक्नोलॉजी पुरस्कार जीतने वाली वह पहली महिला हैं।Smith Vinter

जॉर्ज पी स्मिथ (79) का जन्‍म 1 सितंबर, 1939 को इंडियाना में हुआ। उन्‍होंने फेज डिसप्ले नामक अनूठा तरीका विकसित किया है, जिसके जरिये बैक्टीरिया को संक्रमित करने वाले वायरस बैक्टेरियोफेज का इस्तेमाल नए प्रोटीन के इस्तेमाल में हो सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ मिसूरी के जॉर्ज स्मिथ स्कॉलर, शोधार्थी और प्रोफेसर होने के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में स्थित आर्कन्सा राज्य के गवर्नर भी रह चुके हैं।

सर ग्रेगरी विंटर (67) का जन्‍म 14 अप्रैल, 1951 को हुआ। उन्‍होंने नई दवाइयों के उत्पादन को ध्यान में रखते हुए एंटीबॉडीज के विकास के सिद्धांत का इस्तेमाल किया। कैंब्रिज में एमआरसी लेबोरेटरी ऑफ मॉलीक्यूलर बॉयोलॉजी के सर ग्रेगरी ने कैंब्रिज एंटीबॉडीज टेक्नोलॉजी नामक संगठन की स्थापना की थी। 1990 में उन्हें फेलो ऑफ द रॉयल सोसायटी चुना गया था। 2011 में उन्हें रॉयल मेडल सम्मान से सम्मानित किया गया।

चयन मंडल ने कहा कि यूनिवर्सिटी ऑफ मिसूरी के स्मिथ और कैंब्रिज में एमआरसी लेबोरेटरी ऑफ मॉलीक्यूलर बॉयोलॉजी के विंटर (67) ने ‘फेज डिसप्ले’ नामक अनूठा तरीका विकसित किया। इसके जरिये बैक्टीरिया को संक्रमित करने वाले वायरस- बैक्टेरियोफेज का इस्तेमाल नए प्रोटीन के इस्तेमाल में हो सकता है। उनके अध्ययन से अर्थराइटिस,  सोराइसिस और आंत की सूजन जैसी बीमारी के लिए औषधि निर्माण और विषाक्त पदार्थों की काट के लिए एंटी बॉडीज (प्रतिरोधक) व कैंसर के इलाज में सुविधा होगी।