विजय माल्या जैसे भगौड़ों पर कानूनी शिकंजा कसने के इरादे से केंद्र सरकार उनकी संपत्तियां जब्त करने के लिए नया कानून बनाने जा रही है। इसके लिए प्रस्तावित विधेयक ‘फरार आर्थिक अपराधी विधेयक, 2017’ के मसौदे में प्रावधान किया गया है कि जो आर्थिक अपराधी भारतीय कानून से बचे रहते हैं, वे इस प्रक्रिया से न बच पाएं। संसद से पारित हो जाने के बाद यह विधेयक आर्थिक अपराधों से जुड़े अन्य कानूनों की जगह ले लेगा। इस मसौदे में धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत विशेष न्यायालय बनाने का प्रावधान है जिससे किसी व्यक्ति को फरार आर्थिक अपराधी घोषित किया जा सके। इसके तहत वे मामले आएंगे जो 100 करोड़ रुपये से अधिक के होंगे। 

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा है, ‘व्यापक रूप से यह महसूस किया गया कि ज्यादा मूल्य के आर्थिक अपराध करने वाले भारत से भाग जाते हैं ताकि वे कानून और कानूनी प्रक्रिया से बच सकें। ऐसे में यह आवश्यक समझा गया कि एक प्रभावी, अविलंब और संवैधानिक रूप से स्वीकार्य निवारक की व्यवस्था हो, जिससे इस तरह की कार्रवाई पर लगाम लगाना सुनिश्चित हो सके।’
प्रस्तावित विधेयक के मसौदे को सार्वजनिक राय के लिए जारी किया गया है। इसमें दोषी करार दिए गए व्यक्ति की अपराध के दौरान बनाई गई किसी भी संपत्ति और भारत में उसकी किसी भी संपत्ति को जब्त करना और दूसरे न्यायालयोंं के विवेक के मुताबिक व्यक्ति या कंपनी के प्रमुख प्रबंधकीय व्यक्तियों के किसी सिविल दावे की अनुमति न दिया जाना शामिल है।

मसौदा कानून में कहा गया है, ‘अगर किसी भी समय कथित आर्थिक अपराधी भारत में वापस आता है और उचित न्यायालय में पेश होता है तो इस अधिनियम के तहत कार्रवाई कानून के मुताबिक की जाएगी।’ मसौदा कानून के तहत  ‘फरार आर्थिक अपराधी’  का मतलब कोई व्यक्ति जिसके खिलाफ आर्थिक अपराध से संबंधित गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया हो, उस व्यक्ति ने देश छोड़ दिया हो और आपराधिक अभियोग का सामना करने के लिए भारत आने से इनकार कर दिया हो, शामिल है।  

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक फरवरी को पेश किए गए अपने बजट में इस सिलसिले में घोषणा की थी जिसके मुताबिक यह मसौदा पेश किया गया है। जेटली ने कहा था कि सरकार कानूनी बदलाव करने या नया कानून लाने पर विचार कर रही है ताकि इस तरह के भगौड़ों की संपत्ति तब तक के लिए जब्त की जा सके जब तक कि वे उचित कानूनी मंच पर पेश नहीं होते।