ओपिनियन पोस्ट ब्यूरो।

माउन्ट आबू। ब्रह्माकुमारी संस्थान के शांतिवन परिसर में चल रहे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शनिवार 24 फरवरी को दूसरे दिन जब विदेश से पधारीं जानी-मानी हस्तियों ने भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का गुणगान किया तो डॉयमंड हॉल तालियों से गूंज उठा। विदेशी अतिथियों ने ब्रह्माकुमारी संस्थान की सराहना करते हुए इसे विश्व बंधुत्व और शांतिदूत बताया। नाइजीरिया से पहली बार भारत आईं वैज्ञानिक डॉ. वायोला निकोलस ने हिंदी में गीत जैसा सोचोगे तुम, वैसा बन जाओगे, जैसा कर्म होगा, वैसा फल पाओगे… गाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मोटिवेशनल स्पीकर सिस्टर शिवानी ने कहा कि जैसे हम अपने बच्चों के कॅरियर का प्लान बनाते हैं वैसे ही हम सब आत्माओं के परमपिता परमात्मा ने हमारा प्लान बनाया है। परमात्मा हमें देवता बनाने आए हैं। जब संसार में माता-पिता का अपने बच्चे के लिए बनाया गया प्लान पूरा हो जाता है तो फिर भगवान का प्लान तो पूरा होना ही है। आज अपने आप से पूछें कि क्या सारी दुनिया के बीच रहते मैं देवता बनने के लिए तैयार हूं। आज तक हम सुनते थे कि नर ऐसी करनी करे जो नारायण बने। हम वो नर-नारी हैं जिसे स्वयं परमात्मा ने सिलेक्ट किया है। परमात्मा हमें शिक्षा देकर नारायण और लक्ष्मी बना रहे हैं। परमात्मा कहते हैं मेरे बच्चों योग करो, पढ़ाई करो और मेरी बताई धारणा पर चलो, जीवन सात्विक बनाओ। साथ में वो ताकत देता है। आज सभी संकल्प लें कि हम अपना जीवन मंदिर में विराजित देवी-देवता जैसे उच्च और दर्शनीय बनाएंगे। स्वयं में ऐसे दैवीगुण धारण करें जो देखते ही लोग कहें ये तो जैसे देवता हैं।

महासम्मेलन में रूसी महासंघ के पायलट अंतरिक्ष यात्री सर्गेई अवदीव ने भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक ज्ञान का गुणगान किया। मदुरई हाईकोर्ट की न्यायाधीश एस विमला ने कहा कि हमें भगवान से जो आध्यात्मिक ऊर्जा चाहिए वह सब हमें मिलती है लेकिन हम बाहर की तरफ भागते हैं। संस्था की मुख्य प्रशासिका दादी जानकी ने कहा कि जीवन में सदा सच्चाई और सफाई रखें। चिंता में समय नहीं गंवाओ। हर एक कार्य में परमात्मा की इच्छा मानकर चलें। सदा याद रखें मैं आत्मा हूं और परमात्मा की संतान हूं। सदा चेहरे पर खुशी की झलक दिखे। शांति हमारा स्वधर्म है।

लोकसभा टीवी के सीईओ और चीफ एडिटर डॉ. आशीष जोशी ने कहा कि यह विश्व का एकमात्र ऐसा संगठन है जिसकी बागडोर महिलाओं के हाथों में है। यही वजह है कि ब्रह्माकुमारी संगठन मानव के अंदर छुपी दुर्लभ प्रतिभाओं को तराशने का कार्य सफलतापूर्वक कर रहा है। न्यूयार्क में ब्रह्माकुमारी पीस विलेज की डायरेक्टर डॉ. कला लेंगर ने कहा कि जब तक हम अपने संस्कार नहीं बदलेंगे, तब तक हम अपना संसार नहीं बदल सकते हैं।

शनिवार को महासम्मेलन में सुबह प्रतिभागियों को स्वस्थ रहने के गुर बताए गए। मेडिटेशन सत्र में वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके शीलू बहन ने कहा कि इस शरीर को चलाने वाली चैतन्य शक्ति आत्मा है। जब हम राजयोग का अभ्यास शुरू करते हैं तो हमारे मन में सकारात्मक विचार आने लगते हैं और श्रेष्ठ विचार होने से कर्म और संस्कार भी श्रेष्ठ बन जाते हैं।