देश के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज पर केंद्र सरकार ने 26.4 करोड़ डॉलर यानी करीब 1700 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। कंपनी पर यह जुर्माना बंगाल की खाड़ी स्थित केजी बेसिन के डी-6 ब्लॉक से वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान तय मात्रा से कम गैस उत्पादन के चलते लगाया गया है। इससे पहले भी कंपनी पर कम गैस उत्पादन के लिए जुर्माना लगाया था। इस फील्ड से रोजाना 8 करोड़ क्यूबिक मीटर गैस उत्पादन का लक्ष्य सरकार ने तय किया है मगर कंपनी लगातार लक्ष्य से कम उत्पादन करती रही है। फिलहाल यहां से गैस उत्पादन 40 लाख क्यूबिक मीटर रोजाना से भी कम रह गया है।

तेल मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार कंपनी पर जुर्माने की राशि कुल मिलाकर 3.02 अरब डॉलर (लगभग 19,368 करोड़ रुपये) हो गई है। अधिकारी के मुताबिक सरकार ने 2010-11 में 45.7 करोड़ डॉलर, 2011-12 में 54.8 करोड़ डॉलर, 2012-13 में 79.2 करोड़ डॉलर, 2013-14 में 57.9 करोड़ डॉलर और 2014-15 में 38 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाया गया था। जुर्माने के तहत कंपनी को कुल मुनाफे में से लागत घटाने की अनुमति नहीं दी जाती है।

बता दें कि प्रोडक्शन शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक, डी-6 ब्लॉक में रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसकी सहयोगी ब्रिटेन की बीपी पीएलसी व कनाडा की निको रिसोर्सेज को यह अनुमति है कि वह अपने मुनाफे को सरकार के साथ साझा करने से पहले अपने खर्च को कुल रकम में से घटा दें। जुर्माना के तहत सरकार इन कंपनियों को कॉस्ट रिकवरी नहीं करने देगी तो वह अपना खर्च घटा नहीं सकेंगे। अधिकारी के मुताबिक, कॉस्ट रिकवरी न करने देने से सरकार को अधिक पैसे मिलेंगे। सरकार की तरफ से 17.5 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त दावा कर भी दिया गया है।

गौरतलब है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज का डी-6 गैस ब्लॉक हमेशा विवादों में रहा है। रिलायंस पर पहले इस ब्लॉक से जानबूझ कर कम गैस उत्पादन करने का आरोप लगा ताकि गैस की कीमतों को बढ़ाया जा सके तो कभी आरोप लगा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने डी-6 के बगल में स्थित सरकारी कंपनी ओएनजीसी के ब्लॉक से गैस चुरा लिए। मनमोहन सरकार के दौर में आरोप लगाया गया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए सरकार ने पेट्रोलियम मंत्री तक बदल डाले।