निशा शर्मा।

फ्रांस में बुर्किनीस पर पाबंदी का विरोध पूरी यूरोप ही नहीं दुनियाभर में हो रहा है। पिछले हफ़्ते फ्रांस के कान शहर के मेयर ने समंदर किनारे महिलाओं के बुर्किनीस पहनने पर पाबंदी लगाई थी। मेयर डेविड लिस्नार्ड ने आदेश देते हुए कहा था कि बुर्किनीस से तनाव पैदा हो सकता है क्योंकि फ्रांस चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट के निशाने पर है।

आस्ट्रेलिया में लगातार आठ साल से दुनियाभर में अपने बनाए स्विम सू़ट बेचने वाली अहेदा जेनिती कहती हैं कि वह अब तक करीब सात लाख स्विम सूट बेच चुकी हैं। जिसमें बुर्किनीस शामिल है। बुर्किनीस एक तरह का स्विम सूट होता है जिसे तैरने या पानी में जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसमें पूरा शरीर ढका हुआ होता है।

जेनिती आस्ट्रेलिया में बुर्किनीस का अविष्कारक मानी जाती हैं। वह अहीदा नाम के ब्रांड से बुर्किनीसबेचती हैं। अहीदा ऐसा ब्रांड है जो तैराकी के दौरान पहनने वाले कपड़े हैं जिसमें पूरा शरीर ढका होता है साथ ही सिर को ढकने के लिए भी हुड होता है। यह ब्रांड इस्लाम धर्म में आधुनिकता को देखते हुए तैयार किया गया है।

अहीदा फ्रांस में बुर्किनीसके बैन को गलत बताती हैं इसके पीछे वह तर्क देती हैं कि उनके ब्रेंड यानी बुर्किनीसको पहनने वाली करीब 45 प्रतिशत महिलाएं गैर मुस्लिम हैं ऐसे में फ्रांस का सेकुलर लॉ के आधार पर कपड़ो पर बैन लगाना गलत ही नहीं तथ्यहीन है।

जेनिती के मुताबिक बुकर्निस को पहनना और ना पहनना महिलाओं की पसंद पर होना चाहिए। ना कि इसे महिलाओं पर थोपा जाना चाहिए।

जेनिती की तरह दुनियाभर में फ्रांस में बुर्किनीस पर पाबंदी का पुरजोर विरोध किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर बुर्किनीस पर बैन को लेकर विरोध में कई तरह के बातें देखने को मिल रही हैं। पूरी दुनिया में महिलाओं ही नहीं पुरषों ने भी इस मामले पर  अपनी प्रतिक्रियाएँ दी हैं।

मेक्स अब्राहम का मानना है कि फ्रांस में बुर्किनीस को बैन करने से ना तो आतंकवाद से और ना ही राष्ट्रीयता से उसका कोई लेना देना है।

 सना सूरी लिखती हैं कि  यह  कोई भी निर्धारित नहीं कर सकता कि औरतें क्या पहनेंगी और क्या नहीं पहनेंगी।

 इमाम लक्सटन का कहना है कि यह विश्वास नहीं किया जा सकता कि फ्रांस में बुर्किनीस को बैन कर दिया गया है। यह आदेश औरतों के अधिकारों का हनन है। साथ ही इस पर बहस होनी जरूरी है कि औरतों की प्रगति के लिए  किस तरह के प्रगतिशील पहनावे को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

डॉ स्पीट कहती हैं कि औरतों को ही नहीं बल्कि औरतों के हक में बात करने वाले संगठनों को भी मुद्दे को गंभीरता से उठाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

https://twitter.com/CallMeSpits/status/764660512655339520

 लंदन में रहने वाली मेग नैफसी का कहना है कि मैं गुजारिश करती हूं उन लोगों से  जो महिलाओं को यह बता रहे हैं कि उन्हें क्या पहनना है और क्या नहीं। यह लोग ऐसा करना बंद करें।

ऐनी पीटे एक गंभीर मुद्दे को उठाते हुए कहती हैं कि बुर्किनीस को बैन करने से कैंसर जैसे रोगों को बढ़ावा मिल सकता है। जिन लोगों को इस तरह के रोग हैं वह भी बुर्किनीस का इस्तेमाल करते हैं।

रिबेल नाम से लिखे ट्वीट में कहा गया है कि बुर्किनीस को बैन करने से औरतों के दोनों पहलू आहत होते हैं एक धार्मिक पहलू है जहां इस्लाम में महिलाओं  को शरीर ढकने की इजाजत दी गई है वहीं दूसरी ओर उनका अधिकार है कि वह अपनी मर्जी से पहनावे का चयन करें।  महिलाओं पर यह नहीं थोपा जा सकता कि वह क्या पहनेंगी।