शियामेन (चीन)।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में बड़ी जीत हासिल की है। पाकिस्‍तानी आतंकवाद का विश्‍व पटल पर पर्दाफाश करने की दिशा में भारत की कोशिशें रंग लाने लगी हैं। अब आतंकवाद विरोधी भारतीय रुख को दुनिया में महत्‍व दिया जाने लगा है। तभी तो चीन के शियामेन शहर में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में 4 सितंबर को भारत को बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल हुई।

मेजबान चीन के न चाहते हुए भी आखिरकार ब्रिक्स के सभी पांचों सदस्य देशों ने पहली बार संयुक्त घोषणा पत्र में पाकिस्तान से संचालित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए मोहम्मद को इस्लामिक स्टेट में जारी हिंसा और अशांति फैलाने वाले आतंकी संगठनों की तरह माना है और उसकी पहचान की है।

इस साझा वक्तव्य को भारत के हितों के मद्देनजर माना जा रहा है। भारत ने इस मंच से सीमा पार आतंकवाद की चर्चा की थी। बता दें कि चीन ने शिखर सम्मेलन शुरू होने से पहले ही कहा था कि इस मंच पर पाकिस्तान और आतंकवाद की चर्चा नहीं की जाएगी। ब्रिक्स देशों के साझा बयान में कहा गया है कि हम आतंकवाद के सभी प्रारूपों की घोर निंदा करते हैं और ब्रिक्स के सदस्य देशों के साथ-साथ दुनियाभर में कहीं भी होने वाले आतंकी हमलों की भर्त्सना करते हैं।

यहां यह बात गौर करने वाली है कि चीन और पाकिस्तान में सदाबहार दोस्ती है और कई मौकों पर चीन ने भारत की उन कोशिशों को झटका दिया है, जिसके तहत भारत ने संयुक्तराष्ट्र में जैश-ए-मोहम्मद के चीफ अजहर मसूद को अंतरराष्‍ट्रीय आतंकी घोषित करने की मांग की है।

सुरक्षा और आतंकवाद को लेकर भारत का कूटनीतिक दबाव रंग लाया है। ब्रिक्स के जारी घोषणा पत्र में कहा गया है कि कहीं भी और किसी भी तरह का आतंकवाद मंजूर नहीं है। सम्मेलन में हर तरह के आतंकवाद की निंदा हुई है और ब्रिक्स के शिखर नेताओं ने साफ कहा है कि उन्हें कोई भी आतंकी हमला मंजूर नहीं है।

घोषणा पत्र में हालांकि पाकिस्तान का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन उसकी जमीन से संचालित होने वाले आतंकी संगठनों का इसमें जिक्र किया गया है। घोषणा पत्र में लश्करे तोइबा, जैश-ए-मोहम्मद और तालिबान का नाम लेकर उनकी निंदा की गई है।

यह भारत के लिए बहुत बड़ी कामयाबी है और नई दिल्ली इस्लामाबाद की सह पर संचालित होने वाले आतंकी संगठनों को लेकर दुनिया को अपनी चिंता अपनी चिंता बताने में सफल हुई है। शी जिनपिंग ने कहा कि आतंकियों के विरुद्ध ऐसे उपाय होने चाहिए कि उन्हें छिपने का मौका न मिल सके।

खास बात यह है कि घोषणा पत्र में आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों को जवाबदेह ठहराए जाने की जरूरत पर जोर दिया गया है। आतंकवाद को वित्तीय मदद रोकने तथा आतंकवाद के खात्मे के लिए वैश्विक एकजुटता का आह्वान किया गया है। हालांकि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के आरंभ होने से पहले ही चीन ने पाकिस्तान के आतंकी संगठनों का मु्द्दा न उठाने की नसीहत दी थी। दरअसल भारत की सबसे बड़ी चिंता पाकिस्तान से प्रायोजित आतंकवाद है।