बोधगया के महाबोधि मंदिर परिसर में हुए लगातार बम विस्फोट मामले में पटना की NIA कोर्ट ने दोषी करार दिए गए इंडियन मुजाहिदीन के पांचों आतंकियों को आज उम्रकैद की सजा सुना दी। इस आतंकी हमले में तेज सुनवाई करते हुए कोर्ट ने महज चार साल 10 माह 19 दिन में दोषियों को सजा सुनाई है।

एनआईए कोर्ट के विशेष जज मनोज कुमार ने 25 मई, 2018 को इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए पांचों आरोपियों को दोषी करार दिया था। कोर्ट ने 11 मई 2018 को दोनों पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

कोर्ट के इस फैसले के साथ ही अब रांची के रहने वाले हैदर अली, इम्तियाज अंसारी और मुजीबुल्लाह अंसारी तथा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के रहने वाले उमर सिद्दीकी और अजहर कुरैशी अब अपना-अपना पूरा जीवन सलाखों के पीछे काटेंगे। एनआईए की जांच के मुताबिक, सीरियल ब्लास्ट का सरगना हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी था।

बताते चलें कि 7 जुलाई, 2013 की सुबह-सुबह बोधगया का महाबोधि मंदिर परिसर एक के बाद एक 10 बम धमाकों से दहल उठा था। पांच धमाके महाबोधि मंदिर परिसर के भीतर हुए थे, तीन तेरगर मठ में हुए थे जहां करीब 200 प्रशिक्षु भिक्षु रहते थे और एक-एक धमाका 80 फुट की बुद्ध प्रतिमा के पास और बाइपास के करीब बस स्टैंड पर हुए थे।

इन बम धमाकों में 2 बौद्ध भिक्षुओं सहित 7 लोग घायल हुए थे। हालांकि इस आतंकी हमले में किसी की जान नहीं गई थी। स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर लल्लन सिंह ने सजा की अवधि के लिए हुई सुनवाई के दौरान पांचों दोषियों को उम्रकैद की सजा दिए जाने का आग्रह किया।

विस्फोट के बाद सुरक्षा बलों ने तीन बिना फटे और निष्क्रिय किए हुए बम भी बरामद किए थे। 7 जुलाई, 2013 की सुबह 5।30 से 5।58 के बीच हुए 10 धमाकों का एक ही मकसद था कि सुबह-सुबह जब बौद्ध अनुयायी प्रार्थना के लिए आएं तो खून-खराबा हो। तेरगर मठ में फटे तीन बम खेल के मैदान में लगाए गए थे, जहां नए भिक्षु फुटबॉल खेलते थे।