नई दिल्ली।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा है कि अगर कोई सरकार को अस्थिर करने की धमकी दे रहा है तो हम लोग मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार हैं। हमारी पूरी कोशिश होगी कि राज्य में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरे। दरअसल, यह शिवसेना नेता संजय राउत के बयान पर सीएम का पलटवार था। राउत ने कहा था कि जुलाई बाद सरकार मुसीबत में होगी।

गौरतलब है कि अगले महीने होने राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है। रविवार को ही भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी। भाजपा एनडीए के सहयोगियों को इस मुद्दे पर एकमत करने में लगी है। ऐसे में फड़नवीस के इस बयान के कई मायने निकाले जा सकते हैं क्‍योंकि किसान आंदोलन के बीच शिवसेना सरकार से समर्थन वापसी की धमकी दे चुकी है।

राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम पर सहमति बनाने के लिए भाजपा अपनी सहयोगी शिवसेना को मनाने में जुट गई है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह 18 जून को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मिलने उनके घर मातोश्री जाने वाले हैं। इससे पहले शिवसेना ने संघ प्रमुख मोहन भागवत और एनसीपी प्रमुख शरद पवार को राष्ट्रपति बनाए जाने की वकालत कर चुकी है।

हाल ही में, शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा था कि जुलाई के बाद वर्तमान महाराष्ट्र सरकार मुश्किल में पड़ने वाली है। शिवसेना,  भाजपा से तब से चिढ़ी हुई है जब से 2014 में वो सत्ता में आई है। हाल ही में एक मराठी समाचार चैनल से राउत ने कहा कि अगर किसानों का कर्ज माफ नहीं किया गया तो शिवसेना समर्थन वापस ले लेगी।

उधर,  मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार होने की चुनौती से शिवसेना सकपका गई है। संजय राउत ने कहा, जब मुख्यमंत्री फड़णवीस खुद सामने आकर बोलेंगे तब पार्टी उस पर प्रतिक्रिया देगी। दरअसल, यह बात छिपी नहीं है कि मध्यावधि चुनाव की सुगबुगाहट से शिवसेना के विधायकों में सबसे ज्यादा डर व्याप्त है।

किसानों की राजनीति पर नजर

हाल ही में राज्य में हुए किसान आंदोलन के समय शिवसेना ने खुलकर किसान संगठनों और उनकी मांगों का समर्थन किया था। शिवसेना भी किसानों के सहारे अपने जनाधार को मजबूत करना चाहती है और कोई भी मौका नहीं गंवाना चाहती। वहीं, भाजपा ने मौके की नजाकत को भांपते हुए कर्जमाफी की घोषणा करके बाजी पलट दी है। भाजपा का मानना है कि वह कर्जमाफी के सहारे किसानों का भरोसा हासिल कर लेगी।