राकेश चन्द्र श्रीवास्तव।

उत्तर प्रदेश में भाजपा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के साथ सामाजिक समरसता लाने के प्रयास में है। पार्टी एक ऐसा मार्ग प्रशस्त करना चाहती है जिससे प्रतिद्वंद्वी मायावती के आधार वोट बैंक की नींव दरक जाए। धम्म चेतना यात्रा में शामिल करीब 80 बौद्ध भिक्षु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यों का गुणगान कर दलितों को भाजपा के समीप ला रहे हैं। पिछले 31 मई को बनारस में अमित शाह का एक दलित परिवार के घर भोजन करना और 4 जून को लखनऊ में दलित स्वाभिमान महासम्मेलन में शिरकत करना इस बात का साफ संकेत है कि भाजपा 2017 के चुनाव में दलितों को जोड़कर जीत की राह आसान करना चाहती है।

भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों ने मिशन 2017 की तैयारियों के सिलसिले में मायावती के बौद्ध मतावलंबी वोट बैंक पर कब्जा करने की योजना बनाई है। यह समाज मायावती का खासा समर्थक माना जाता है। माध्यम बनी है बौद्ध भिक्षुओं की धम्म चेतना यात्रा। इसे पिछले 24 अप्रैल को वाराणसी के सारनाथ से केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। इसके पहले चरण का समापन 8 जून को श्रावस्ती में हुआ। यह यात्रा उत्तर प्रदेश में बौद्ध, दलित, शोषित व वंचित समाज को भारतीय जनता पार्टी से जोड़ने और दुनिया के बौद्ध देशों से सांस्कृतिक संबंध की एकरसता बनाने की एक कड़ी है।

आॅल इंडिया भिक्षु संघ के संघ नायक भदंत डॉ. धम्म वीरियो के नेतृत्व में निकली धम्म चेतना यात्रा वाराणसी के सारनाथ से भदोही, जौनपुर, इलाहाबाद, मिर्जापुर, सोनभद्र, चंदौली, गाजीपुर, बलिया, मऊ, आजमगढ़, अंबेडकरनगर, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, संतकबीरनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर व बलरामपुर होते हुए 4 जून को श्रावस्ती पहुंची। इस दौरान यात्रा में शामिल 80 बौद्ध भिक्षुओं ने रोज दो सभाओं के माध्यम से भगवान बुद्ध, बाबा भीमराव अंबेडकर और नरेंद्र मोदी के कार्यों का गुणगान किया। कार्यक्रम खासतौर पर दलित बस्तियों, बौद्ध विहार और अंबेडकर प्रतिमा स्थलों पर आयोजित किए गए। धम्म चेतना यात्रा पिछले 5 जून को श्रावस्ती मुख्यालय भिनगा के वाल्मीकि मोहल्ले में पहुंची। वहां आयोजित एक जनसभा में संघ नायक

डॉ. धम्म वीरियो ने कहा कि मानवता को जाति में न बांटा जाए। शिष्टाचार हमारी सभ्यता और संस्कृति का दर्पण है। ऊंच नीच का भेदभाव समाज में नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये मंच राजनीतिक नहीं धार्मिक है। मोदी ने बौद्ध धर्म को समझा है। इसीलिए 400 करोड़ रुपये बौद्ध धर्म स्थल के विकास के लिए दिया है। अब तक किसी प्रधानमंत्री ने एक भी पैसा बौद्ध धर्म के उत्थान व प्रचार-प्रसार के लिए नहीं दिया। मोदी ने प्रेरणा दी कि धम्म का प्रचार गांव-गांव तक होना चाहिए। उन्हीं की प्रेरणा से यह चेतना यात्रा 24 अप्रैल को सारनाथ से निकाली गई है। जनसभा को भदंत शांति मित्र ने भी संबोधित किया। 6 जून 2016 को श्रावस्ती के श्रीलंका मंदिर में धम्म चेतना यात्रा की ओर से एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। आॅल इंडिया भिक्षु संघ के संघ नायक व पूर्व सांसद डॉ. धम्म वीरियो ने कहा कि श्रावस्ती बहुत ही पवित्र स्थल है। यहां विभिन्न देशों के लोग आकर जेतवन में पूजा अर्चना कर विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं। उन्होंने कहा कि श्रावस्ती में धम्म चेतना यात्रा का उद्देश्य समाज में बिखराव को रोकना है। श्रावस्ती के ऐतिहासिक स्थलों की पवित्रता व इसके आस पास स्वच्छता बनाए रखें जिससे भगवान बुद्ध की इस तपस्थली की महत्ता बनी रहे। धम्म चेतना यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत 10 जून को बहराइच से प्रस्तावित हुई।

श्रावस्ती बौद्ध धर्म का अंतरराष्ट्रीय केंद्र है जहां भगवान बुद्ध ने 25 चातुर्मास बिताकर पूरी दुनिया को अहिंसा, करुणा और मानवता का संदेश दिया। श्रावस्ती में थाईलैंड, श्रीलंका, चीन, बर्मा, जापान, कोरिया आदि देशों के बौद्ध मंदिर हैं और बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षु यहां निवास करते हैं। थाईलैंड का मंदिर, ध्यान केंद्र और बौद्ध प्रतिमा देखने लायक है। बहराइच जिले में शमसातरहर, बिचपरी में बौद्ध केंद्र और बलहां में बौद्ध अनुयायियों की बड़ी संख्या है। धम्म चेतना यात्रा में एक रथ, दो एलईडी लगी बसें, आठ वाहन और 80 बौद्ध भिक्षु व बौद्ध अनुयायी चल रहे हैं। बौद्ध, दलित, शोषित, वंचित समाज में धार्मिक, आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक व राजनैतिक चेतना पैदा करने के लिए और इस समाज में बदहाली के प्रति चिंता जताते हुए भदंत डॉ. वीरियो के नेतृत्व में यात्रा निकाली गई है। चार चरणों में निकलने वाली इस यात्रा का समापन 14 अक्टूबर 2016 को लखनऊ में होगा।

वैसे तो इस यात्रा में भाजपा के झंडे व बैनर नहीं हैं पर भाव भाजपा के लिए माहौल बनाने का है। भाजपाई भी सामने नहीं हैं लेकिन परदे के पीछे से इस यात्रा की पूरी मदद कर रहे हैं। यह यात्रा प्रदेश के 300 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजर रही है और 60 जिलों को कवर करेगी। यात्रा में शामिल भिक्षु भाजपा का नाम तो नहीं ले रहे हैं लेकिन मोदी के गुणगान में कोई कसर भी नहीं छोड़ रहे हैं। यात्रा के मुख्य समन्वयक शीलरक्षित भिक्षु कहते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी ने दो साल में जो कुछ किया है उससे बौद्ध धर्म के अनुयायियों का मान बढ़ा है। इसलिए हमारी भी जिम्मेदारी है कि लोगों को बताएं कि पीएम मोदी किस तरह देश का मान और सम्मान बढ़ा रहे हैं।

राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि मायावती दलितों को बौद्ध बनने के लिए प्रेरित करती हैं जिससे एक बड़ा वर्ग प्रभावित भी है। इसीलिए रणनीतिकारों ने धम्म यात्रा के जरिये इनके बीच पहुंचने की योजना बनाई है। हालांकि रणनीतिकार जल्दबाजी में नहीं हैं। इसीलिए उन्होंने यात्रा से अपना झंडा व बैनर दूर रखा है ताकि बौद्ध समाज में यह भाव न पैदा हो कि भाजपा वोट के लिए ये सब कर रही है। रणनीतिकारों का मानना है कि माहौल बन गया तो लाभ स्वत: भाजपा को ही मिलेगा। वर्ष 2017 में होने वाले यूपी के विधानसभा चुनाव को लेकर इस धम्म चेतना यात्रा के गहरे मायने निकाले जा रहे हैं। वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में सर्वसमाज की एकजुटता से भाजपा को भारी बहुमत प्राप्त हुआ था और केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्त्व में भाजपा की सरकार बनी। इस चुनाव में मायावती से दलित वर्ग के खिसक जाने से एक भी सीट उसे यूपी में नहीं मिली। भाजपा एक सर्वग्राही पार्टी बनकर उभरी और दलित समाज का तादात्म्य भाजपा से जुड़ा। अब जब 2017 के चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है तो भाजपा 2014 के चुनाव में लामबंद हुए सर्व हिंदू समाज को एक बार फिर एकजुट करना चाहती है। यह धम्म चेतना यात्रा जहां सर्व हिंदू समाज और बौद्धों को जोड़ने का सेतु बनेगी, वहीं बौद्ध अनुयायियों और अनुसूचित वर्ग में भाजपा की पैठ बनेगी।

धम्म चेतना यात्रा के अलावा दलितों को साथ जोड़ने की कोशिश में जुटी भाजपा यूपी में विशेष अभियान की तैयारी कर रही है। भाजपा के दलित सांसद और मंत्री विधानसभा चुनाव से पहले गांव, गली और बस्तियों में घूम-घूम कर केंद्र की मोदी सरकार की योजनाओं का प्रचार-प्रसार करेंगे। पिछले 31 मई को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के जोगियाबीर गांव में दलितों के साथ पंगत में बैठकर खाना खाया। अमित शाह 4 जून को लखनऊ के डॉ. अंबेडकर आॅडिटोरियम में आयोजित अवध क्षेत्र भाजपा अनुसूचित वर्ग के दलित स्वाभिमान सम्मेलन में भी शामिल हुए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि अटल जी के प्रयास से गैरकांग्रेस सरकार में बाबा साहब अंबेडकर को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। जाहिर है भाजपा हमेशा दलितों की हितैषी रही है।

महाराजा सुहेलदेव को सम्मान देकर भाजपा ने पासी समाज को गौरवान्वित किया है। गांव में रहने वाले कोरी, पासी, मल्लाह व अन्य वर्ग को केसरिया झंडे के नीचे लाने के लिए भाजपा राष्ट्रीय स्तर से लेकर निचले स्तर तक योजनाबद्ध तरीके से काम कर रही है। चाहे अंबेडकर जयंती हो या रैदास जयंती, इनके विभिन्न पर्वों पर भाजपा की सक्रिय भागीदारी और दूसरे मोर्चे पर दूसरी पंक्ति के राजनेता, धार्मिक संस्थाओं के प्रमुख जहां ध्रुवीकरण की प्रक्रिया तेज कर रहे हैं वहीं सामाजिक समरसता के लिए धम्म चेतना यात्रा का आयोजन सीधे संकेत दे रहे हैं कि भविष्य में भाजपा ध्रुवीकरण व सामाजिक समरसता का घालमेल कर अपनी जीत की राह आसान बनाना चाहती है। इन योजनाओं के जरिये भाजपा जाति धर्म के नाम पर बंटे समाज को कितना झकझोर पाती है, यह देखने वाली बात होगी।