सुनील वर्मा।
उत्तर प्रदेश में सत्ता की बाट जोह रही बीजेपी में टिकट वितरण के साथ बगावत और भीतरघात की आहट सुनाई देने लगी है। बीजेपी के ब्राह्मण नेता पहली लिस्ट जारी होने के बाद नाखुश नज़र आ रहे हैं। तो कई दिग्गज नेता चहेतों को टिकट न मिलने और नज़रंदाज़ किए जाने से है नाराज है। बीजेपी की पहली लिस्ट में 149 सीटों पर सिर्फ 12 ब्राह्मण प्रत्याशियों को ही टिकट मिला है। दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर दल बदलुओं को टिकट मिलने से सालों से पार्टी के साथ जुड़े नेता भी खफा दिख रहे है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ दिन पहले ही नसीहत दी थी पार्टी नेता अपने रिश्तेदारों के लिए टिकट न मांगें लेकिन चुनावों के लिए टिकट बंटवारे में भी परिवारवाद चला है लेकिन पीएम मोदी की यह नसीहत बेअसर रही। भाजपा ने कल उत्तर प्रदेश के लिए उम्मीदवारों की जो पहली सूची जारी की उसमें जमकर ‘अपनों’ को टिकट बांटे गए। हालाँकि कुछ बड़े नेताओ के परिवारवालों को टिकट नहीं मिलें तो इसके पीछे पीएम की नसीहत का तर्क दिया गया । एक और मजेदार बात यह रही है कि बीजेपी ने पाला बदलकर भाजपा में शामिल होने वाले कई नेताओं को विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है। इसे लेकर ज्यादा नाराजगी है जो पार्टी पर भारी भी पड़ सकती है ।

राजनाथ सिंह पुत्र पंकज सिंह को टिकट न मिलने से निराश
राजनाथ सिंह पुत्र पंकज सिंह को टिकट न मिलने से निराश

पार्टी के भीतरी सूत्रों की मानें तो जो नेता नाखुश नज़र आ रहे हैं, उनमें सबसे बड़ा नाम राजनाथ सिंह का है। जो अपने बेटे प्रदेश महामंत्री पंकज सिंह के लिए साहिबाबाद से टिकट मांग रहे हैं। लेकिन पहली लिस्ट में उनका नाम घोषित न होने से राजनाथ समर्थक निराश है । टिकट ना मिलने से नाराज़ बरेली के संतोष गंगवार (कैबिनेट मंत्री ) के साले वीरेंद्र सिंह वीरू ने जिला महामंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।
बसपा से बीजेपी में शामिल हुए केसर सिंह को नवाबगंज से टिकट मिलने से सीट के प्रमुख दावेदार एमपी आर्या ने तो प्रदर्शन कर अपना विरोध ही जता दिया। अशोक प्रधान को शामिल करने से कल्याण सिंह ने नाराज़गी जताई है। बीजेपी में शामिल हुए बसपा एमएलए ममितेश शाक्य भी अपनी सीट बदल जाने से परेशान हैं। लखीमपुर खीरी से योगेश वर्मा को टिकट दिए जाने से प्रदेश मंत्री अनूप गुप्ता नाराज़ बताए जा रहे हैं।
पश्चिम यूपी की राजनीति के सबसे मज़बूत गढ़ बागपत में सभी सीटों पर बाहरी नेताओं को टिकट दिए जाने से स्थानीय नेता नाराज है । छपरौली से सत्येंद्र तुगाना को टिकट मिला है, तो कहा जा रहा है कि संजीव खोखर मायूस हो गए हैं। बड़ौत में केपी मालिक को टिकट मिली है और बागपत से योगेश धामा को दोनों बाहर से आये नेता हैं जिससे वहां के बीजेपी के पुराने कार्यकर्त्ता सुनील भराला, मनिंदर पाल, आत्माराम तोमर, जयप्रकाश तोमर जैसे पुराने कार्यकर्ता नाराज़ बताए जा रहे हैं। मेरठ के सिवालखास से जितेंद्र सतवई को टिकट मिलने से स्थानीय कार्यकर्ता नाराज़ हैं। इसके साथ ही संजीव बालियान अपने करीबी को बरेली के मीरापुर से टिकट दिलाने में कामयाब नही हो पाए हैं जबकि यहां से पूर्व कांग्रेसी सांसद अवतार सिंह भड़ाना को टिकट मिला है।
आगरा के खेरागढ़ से वैश्य मतदाताओं की कम संख्या के बावजूद महेश गोयल को प्रत्याशी बनाए जाने से नाराज टिकट के दावेदार पूर्व विधायक अमर सिंह परमार ने नाराजगी जताते हुए इसे टिकट न मिलने के बाद उन्होंने इसे ठाकुर और ब्राह्मण समाज का अपमान बताया है। वे पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय ताल ठोंक सकते है । टिकट वितरण से जनपद फतेहपुर सीकरी सीट से दावेदारी में जुटे पार्टी नेता राजकुमार चाहर भी निराश हैं। किसान सेना के संयोजक चाहर पिछले चुनाव में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे ।
उत्तर प्रदेश की पहली लिस्ट में सबसे ज्यादा मेहरबानी पार्टी ने दलबदलुओं पर दिखाई है। बलदेव सीट पर लोक दल से आए पूरन प्रकाश को टिकट दे दिया गया । महज 24 घंटे पहले सपा छोड़कर पार्टी में आई पक्षालिका सिंह को बीजेपी ने बाह से पार्टी प्रत्याशी बना दिया। बीएसपी से पाला बदलकर बीजेपी में शामिल हुए महावीर राणा को बेहट से और धर्मसिंह सैनी को नकुट से उम्मीदवारी दे दी गई।
गंगोह से कांगेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले प्रदीप चौधरी को जबकि नहटोर से ओम कुमार को टिकट मिल गया । ओम बीएसपी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। इसके अलावा बसपा से आए अरविंद गिरि, रोमी साहनी, बाला प्रसाद अवस्थी और रौशन लाल वर्मा को भी बीजेपी ने विधायकी का टिकट दिया है। इन उम्मीदवारों से पहले दावेदारी जता रहे पार्टी के पुराने नेता देर सबेर बगावत का बिगुल बजा सकते है ।