अाेपिनियन पाेस्ट
खंडित जनादेश मिलने के बाद से ही कर्नाटक में सियासी पारा अासमान पर है। कांग्रेस – जेडीएस जहां सत्ता परीक्षण से पहले अपने विधायकाें काे खरीद फराेख्त अाैर टूट से बचाने में जुटी है ताे देश की सबसे बड़ी अदालत ने 24 घंटे में बहुमत साबित करने का अादेश देकर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी है यहीं कारण है कि अब पीएम माेदी खुद बर्थडे डिप्लोमैसी के सहारे समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं ।
कांग्रेंस की मदद से जेडीएस की कमान संभाले पार्टी अध्यक्ष कुमारस्वामी के पिता और देश के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा का अाज जन्मदिन है और पीएम माेदी ने उन्हें जन्मदिन की बधाई दी है। पीएम ने अपने बधाई संदेश में उनकी लंबी आयु और स्वस्थ रहने की कामना की है। राजनीतिक जानकाराें के बीच पीएम की बधाई को देवगौड़ा की ओर फेंके गए पासे की तरह देखा जा रहा है।
कर्नाटक के चल रहे नाटक में सीएम येदियुरप्पा को अगर बहुमत साबित करना है तो चुनाव के बाद बने गठबंधन में कांग्रेस और जेडीएस का मकसद किसी तरह से बीजेपी को सत्ता से दूर रखना है। यह गठबंधन बस कुमारस्वामी को सीएम बनाने और बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए बना है, क्योंकि कुमारस्वामी पिछले 14 साल से सत्ता से दूर हैं जबकि कांग्रेस किसी भी तरह नहीं चाहती कि कर्नाटक उसके हाथ से निकल जाए।
हालांकि ये अलग बात है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के पहले एक महीने से ज्यादा के प्रचार में कांग्रेस और जेडीएस ने एक-दूसरे के खिलाफ खूब आरोप लगाए थे। कांग्रेस ने जेडीएस को प्रचार में बीजेपी की ‘बी’ टीम तक कहा था, जबकि कुमारस्वामी और देवगौड़ा का आरोप था कि कांग्रेस मुस्लिमों के वोट का बंटवारा कर बीजेपी की जीत आसान बना रही है। कुमारस्वामी का तो ये भी आरोप था कि कांग्रेस ने जानबूझकर बीजेपी के खिलाफ कमजोर प्रत्याशी उतारे हैं।
लेकिन पीएम माेदी काे संभवतः त्रिशंकु जनादेश की पहले से अाशंका थी इसीलिए उन्होंने अपनी कुछ जनसभा में देवगौड़ा की जमकर तारीफ की थी। उन्हें महान किसान नेता बताया था। देवगौड़ा ने भी अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी और नरेंद्र मोदी को अच्छा और सफल पीएम बता दिया।
बीजेपी ऐसे मामले में कुमारस्वामी और देवेगौड़ा को साल 2004 की याद दिलाना नहीं भूल रही है जब कांग्रेस,जेडीएस और बीजेपी को लगभग बराबर-बराबर सीट आई थी और जेडीएस ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी । लेकिन ये सरकार ज्यादा दिन तक नहीं चल सकी थी और कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया था । बाद में कुमारस्वामी ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई ।
ऐसा नहीं है कि बीजेपी ने कुमारस्वामी को सरकार में शामिल होने का न्योता नहीं दिया , लेकिन इस मामला में कांग्रेस ने ज्यादा चतुरायी से काम लिया अाैर कुमार स्वामी काे सीएम का पद अॉफर कर दिया। बीजेपी येदियुरप्पा को अपना सीएम प्रत्याशी घोषित कर चुकी थी और वो अपनी सीट जीत भी चुके थे। उन्होंने बीजेपी की जीत में अपनी पूरी ताकत लगा दी थी। उनकी मेहनत का नतीजा था कि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई, जो पिछले चुनाव में 40 सीट पर ही सिमटकर रह गई थी। लिहाजा कुमार स्वामी काे बीजेपी से वाे हासिल नहीं हाेगा जाे कांग्रेस से उन्हें मिल रहा है।
देवगाैडा काे माेदी की तरफ से जन्मदिन की बधाई के संदेश के सहारे बीजेपी, कुमारस्वामी को ये संदेश देने की कोशिश कर रही है कि उसकी नेचुरल पार्टनर वो है कांग्रेस नहीं। कांग्रेस के साथ जाना उसके लिए उसी तरह नुकसानदेह साबित होगा जैसा 2004 में हुआ था। पीएम नरेंद्र मोदी के देवेगौड़ा को दिए जन्मदिन के बधाई संदेश को राजनीतिक जानकार इसी रूप में देख रहे हैं।