बिहार सरकार ने अपने कर्माचारियों और पेंशनभोगियों को सातवें वेतन आयोग का बड़ा तोहफा दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसका फायदा राज्य के 3.65 लाख नियमित कर्मचारियों, 6 लाख पेंशनभोगियों और 3.6 लाख नियोजित शिक्षकों को मिलेगा। नया वेतनमान पहली अप्रैल 2017 से लागू होगा।

इस बारे में जानकारी देते हुए मंत्रिमंडल सचिवालय के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बताया कि पूर्व मुख्य सचिव जीएस कंग की अध्यक्षता में गठित राज्य वेतन आयोग की अनुशंसा को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए ग्रैच्युटी की सीमा भी 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गई है। इस महीने के अंत तक इस बारे में अधिसूचना जारी हो जाएगी। इस फैसले से सरकार के खजाने पर सालाना करीब 5,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

वित्त विभाग के प्रधान सचिव रवि मित्तल ने बताया कि हाउस, मेडिकल आदि भत्ते की वृद्धि पर बाद में निर्णय होगा। अभी सिर्फ वेतन वृद्धि पर निर्णय हुआ है। करीब 15 फीसदी की वृद्धि औसतन हुई है। अब राज्य के कर्मचारियों का न्यूनतम वेतनमान 18,000-56,900 रुपये और अधिकतम 1,44,200-2,18,000 हो गया है। 132 फीसदी महंगाई भत्ता व ग्रेड-पे इसमें मर्ज है।

संदीप और केके विश्वविद्यालय को हरी झंडी
इसके अलावा कैबिनेट ने 19 अन्य प्रस्तावों को भी मंजूरी दी। इनमें दो निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना और उनके संचालन को भी हरी झंडी मिली है। इनमें एक संदीप विश्वविद्यालय की स्थापना मधुबनी जिले के सिजौल में की जाएगी। वहीं दूसरा नालंदा जिले के बिहारशरीफ में केके विश्वविद्यालय का संचालन होगा। ब्रजेश महरोत्रा ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने किफायती आवास और मलिन बस्ती पुनर्वास एवं पुनर्विकास आवास नीति 2017 को भी मंजूरी दे दी है।