अजय विद्युत
सीएनएस न्यूज और अमेरिका के कंजरवेटिव थिंक टैंक हेरिटेज फाउंडेशन ने ‘बेनगाजी एकाउंटेबिलिटी कोलीशन इवेंट’ आयोजित किया जिसमें विशेषज्ञों व वरिष्ठ पत्रकारों क्रिस प्लांटे, क्लेयर लोपेज, ब्रिगेट गैबरियल और फ्रैंक गैफनी ने इस बारे में विमर्श किया कि इराक के बेनगाजी में चार अमेरिकी फौजियों की हत्या को लेकर अमेरिकी सरकार को क्या रणनीति अपनानी चाहिए। सीएनएस न्यूज पर प्रसारित इस कार्यक्रम में एक मुस्लिम युवती सबा अहमद कहती है कि अधिकतर मुस्लिम शांतिप्रिय हैं लेकिन उनकी खराब छवि पेश की जाती है। अमेरिका तक में उन्हें वाजिब प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाता। हालांकि इस कार्यक्रम का प्रसारण 16 जून 2014 को हुआ था लेकिन इसमें उठाई बातों पर आज भी खुले और व्यापक विमर्श की आवश्यकता प्रतीत होती है।
पैनल के समक्ष कानून की छात्रा सबा कहती है :

सबा अहमद : मैं यहां आपसे कुछ सवाल पूछने आई हूं
सबा अहमद : मैं यहां आपसे कुछ सवाल पूछने आई हूं

‘सलाम अलैकुम, मेरा नाम सबा अहमद है और मैं एक अमेरिकी विश्वविद्यालय में कानून की छात्रा हूं। मैं यहां आपसे कुछ सवाल पूछने आई हूं। मैं जानती हूं कि इस्लाम और सभी मुस्लिमों की बुरी छवि प्रस्तुत की जाती है। लेकिन सारी दुनिया में 180 करोड़ मुस्लिम हैं। अमेरिका में ही 80 लाख से अधिक मुस्लिम हैं, लेकिन मैं देख रही हूं कि उन्हें यहां बिल्कुल भी प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया। लेकिन मेरा प्रश्न है कि आप एक विचारधारा को हथियारों के बल पर कैसे समाप्त कर सकेंगे? जिसे आप ‘जिहादी विचारधारा’ कहते हैं वह एक सोच है, आप उसे बिना विचार विमर्श किए कैसे जीत सकते हैं?’
पैनल में मौजूद अमेरिका की आंतरिक नीतियों की विशेषज्ञ वरिष्ठ पत्रकार ब्रिगेट गैबरियल जवाब देती हैं:
‘बहुत अच्छा सवाल, मुझे खुशी है तुमने इसे पूछा और हमें इसका उत्तर देने का अवसर दिया। कितनी विचित्र बात है कि हम तो यहां वेनगाजी (ईराक) में हमारे सैनिकों के मारे जाने पर चर्चा प्रारंभ करने के लिए एकत्र हुए हैं… और यहां एक भी व्यक्ति ने यह नहीं कहा कि हम मुस्लिमों या इस्लाम के खिलाफ हैं, हम यहां यह चर्चा करने आए हैं कि कैसे चार अमेरिकियों की नृशंस हत्या की गई और हमारी सरकार क्या कर रही है। हम यहां मुस्लिमों की आलोचना के लिए नहीं आए थे, ये तुम हो जिसने ‘अधिकतर मुस्लिमों’ का सवाल उठाया है… और अब सवाल उठा ही दिया है तुमने तो मैं भी इसका उत्तर विस्तार से देने जा रही हूं।’
‘आज दुनिया में 120 करोड़ मुस्लिम हैं, सच है कि उनमें से सब कट्टर नहीं हैं, अधिकतर मुस्लिम शांतिप्रिय ही हैं। कुल मुस्लिम जनसंख्या का मात्र पंद्रह से बीस प्रतिशत ही कट्टर जिहादी हैं और यह मेरा नहीं विश्व की सभी प्रतिष्ठित जांच एजेंसियों का निष्कर्ष है। इसका अर्थ हुआ कि कुल मुस्लिम जनसंख्या में से 75 प्रतिशत मुस्लिम शांतिप्रिय लोग हैं। लेकिन कुल मुस्लिम जनसंख्या का 15 से 25 प्रतिशत हुआ 18 से 30 करोड़ विषैले जिहादी, जिनके सिर पर पश्चिमी सभ्यता के विनाश का अंधा जुनून सवार है। यह संख्या लगभग अमेरिका की कुल जनसंख्या के बराबर है। तो हमें उन 15 से 20 प्रतिशत कट्टर जिहादियों के बारे में चिंतिति क्यों होना चाहिए? क्योंकि यही हिंसक कट्टर लोग हत्याएं करते हैं, लोगों के सिर काटते हैं। तुम मानव इतिहास का कोई भी पन्ना उठाकर देख लो, यह सच है।’
‘अधिकतर जर्मन शांतिप्रिय लोग थे। फिर भी हिंसक कट्टर नाजियों के कारण 6 करोड़ मनुष्य मारे गए। नाजियों के यातना शिविरों में 1.4 करोड़ लोग मार डाले गए जिनमें से 60 लाख यहूदी थे। अधिकतर शांतिप्रिय लोग क्या कर पाए? कुछ भी नहीं! उसी तरह अधिकतर रूसी शांतिप्रिय लोग थे लेकिन कट्टर वामपंथी रूसियों ने बर्बरतापूर्वक 2 करोड़ लोग मार डाले। चीनियों को देखो, अधिकतर चीनी शांतिप्रिय लोग थे लेकिन नरपिशाच वामपंथी चीनियों ने 7 करोड़ लोग मौत के घाट उतार डाले। ठीक उसी तरह द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले अधिकतर जापानी शांतिप्रिय लोग थे लेकिन कट्टर जापानी सैनिकों की बंदूकों की नुकीली संगीनों ने दक्षिण-पूर्व एशिया में 1.2 करोड़ लोगों के जिस्म काट डाले। अधिकतर शांतिप्रिय लोग क्या कर पाए? कुछ भी नहीं! …11 सितम्बर 2001 को अमेरिका में 23 लाख के करीब अरब मुस्लिम मौजूद थे जिनमें से अधिकतर शांतिप्रिय ही थे। सिर्फ 19 विषैले जिहादियों ने हवाई जहाजों का अपहरण कर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन पर हमला किया और 3000 अमेरिकियों को मौत के घाट उतारकर अमेरिका को उसके घुटनों पर ला दिया। अधिकतर शांतिप्रिय लोग क्या कर पाए? कुछ भी नहीं!’
‘तो उन ‘अधिकतर शांतिप्रिय’ मुस्लिमों की चर्चा छिड़ी है तो मुझे खुशी है कि आज तुम यहां हो, लेकिन तुम्हारे अलावा और कितने ‘अधिकतर शांतिप्रिय’ मुस्लिम यहां मौजूद हैं? और चूंकि तुम यहां मौजूद इकलौती मुस्लिम प्रतिनिधि हो, तुमने सारा ध्यान अपनी ओर खींच लिया बजाय यह चर्चा करने के कि हमारी सरकार इस मामले में…’
‘मेरा अनुमान है कि तुम एक अमेरिकी नागरिक हो ना? तुम एक अमेरिकी नागरिक हो। …तो एक अमेरिकी नागरिक के रूप में इस बात पर चर्चा करने के बजाय कि हमारे चार सैनिक इराक में क्यों मारे गए और सरकार इस बारे में क्या कर रही है तुम वहां खड़ी होकर ‘अधिकतर शांतिप्रिय मुस्लिमों’ की वकालत कर रही हो? काश तुम ऐसे 10 ‘शांतिप्रिय मुस्लिम’ अपने साथ लेकर आतीं और सरकार को जिम्मेदार बनाने पर चर्चा करतीं। …समय आ चुका है कि हम आत्मघाती और मनोरोगी ‘धर्मनिरपेक्षता’ तथा ‘आदर्शवाद’ को उठाएं और उसी कचरे के डिब्बे में फेंक दें जिसके यह लायक है!’ कार्यक्रम में मौजूद विशेषज्ञों और पत्रकारों का मानना था कि अमेरिका और दुनियाभर में उदारवाद ने अपने विनाशकारी निशान छोड़ रखे हैं। यही कारण है कि हमारा काम इतना महत्वपूर्ण है।

कार्यक्रम का वीडियो देखने के लिए क्लिक करें :

https://youtu.be/nrmwB0bwtYQ