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साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 14 में से 12 सीटों पर जीत का परचम लहरा कर शानदार प्रदर्शन किया था, इसलिए आगामी चुनाव में राज्य की किसी सीट पर एनडीए के किसी घटक दल की दावेदारी नहीं बनती. उनके बीच अगर सीटों का बंटवारा होगा, तो विधानसभा चुनाव के समय होगा. मुख्यमंत्री होने के नाते रघुवर दास के सामने 2014 से बेहतर या कम से कम समकक्ष प्रदर्शन की चुनौती है और वह इसके लिए हर तरह की तैयारी कर रहे हैं.

bjpमुख्यमंत्री रघुवर दास ने बूथ स्तर तक लोकसभा की तैयारी के बाद चुनावी बिसात पर रणनीतिक मोहरे बिछाने शुरू कर दिए हैं. विपक्षी महागठबंधन अभी सीटों के बंटवारे में ही उलझा हुआ है, जबकि भाजपा ने चुनाव को त्रिकोणीय और बहुकोणीय बनाने की पृष्ठभूमि तैयार कर दी है. आजसू प्रमुख सुदेश महतो एवं झारखंड जनाधिकार मोर्चा के सालखन मुर्मु ने महागठबंधन से बाहर रहे दलों के साथ तीसरे मोर्चे की तैयारी शुरू कर दी है. अगर महागठबंधन में भाकपा को हजारीबाग और भाकपा-माले को कोडरमा सीट देने पर सहमति नहीं बनती, तो संभव है कि वामपंथी दल भी आजसू के मोर्चे में शामिल हो जाएं. भाकपा के भुवनेश्वर मेहता हजारीबाग से तीन बार सांसद रह चुके हैं और माले का भी कोडरमा में अच्छा प्रदर्शन रहा है. 2014 के चुनाव में उसके प्रत्याशी राजकुमार यादव दूसरे स्थान पर रहे थे. अगर वाम नेता तीसरे मोर्चे में शामिल हुए, तो चुनाव त्रिकोणीय रहेगा, अन्यथा कई सीटों पर यह चतुष्कोणीय हो सकता है. मतों के इस विभाजन का लाभ जाहिर तौर पर भाजपा को मिलेगा.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 14 में से 12 सीटों पर जीत का परचम लहरा कर शानदार प्रदर्शन किया था, इसलिए आगामी चुनाव में राज्य की किसी सीट पर एनडीए के किसी घटक दल की दावेदारी नहीं बनती. उनके बीच अगर सीटों का बंटवारा होगा, तो विधानसभा चुनाव के समय होगा. मुख्यमंत्री होने के नाते रघुवर दास के सामने 2014 से बेहतर या कम से कम समकक्ष प्रदर्शन की चुनौती है और वह इसके लिए हर तरह की तैयारी कर रहे हैं. केंद्र एवं राज्य की लोक लुभावन योजनाओं और विकास कार्यों को लेकर वह धुआंधार दौरा कर रहे हैं. साथ ही भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर कर उन्हें उत्साहित करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. हालिया चुनावी सर्वेक्षणों ने संकेत दिए थे कि कार्यकर्ताओं की नाराजगी के चलते इस बार झारखंड में भाजपा और एनडीए का खेल आसान नहीं होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह आम कार्यकर्ता तो क्या, संगठन के प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के लिए भी सुलभ नहीं रहते.

राज्य में भी यही हाल था. रघुवर दास राज्य के विकास के प्रति तो समर्पित रहे, लेकिन अपने अक्खड़ स्वभाव के चलते वह कार्यकर्ताओं से दूरी बनाकर रखते थे. दास अब सर्वेक्षणों में व्यक्त आशंकाओं को गंभीरता से लेते हुए समाज के विभिन्न वर्गों के अलावा पार्टी कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद करने निकल पड़े हैं. राज्य में लगातार कार्यक्रम और कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं. रघुवर दास उनमें शरीक होकर कार्यकर्ताओं की बात सुन रहे हैं, उनसे क्षमा भी मांग रहे हैं. पलामू के चंदवा में प्रमंडल स्तरीय शक्ति केंद्र कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए रघुवर दास ने कहा, राज्य को सुधारने के लिए कई कार्य सख्ती से कराने पड़े. इससे कार्यकर्ता नाराज भी हुए, लेकिन राज्य को पटरी पर लाने के लिए यह कदम जरूरी था. मैं इसके लिए क्षमा मांगता हूं. रघुवर दास ने यह कहकर कि कार्यकर्ताओं की बदौलत ही केंद्र और राज्य में एनडीए की सरकार बनी है, उनके महत्व को स्वीकारा. वह अबकी बार, चार सौ पारजैसे नारे उछाल रहे हैं. केंद्र एवं राज्य की लाभकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए कार्यकर्ताओं का आह्वान कर रहे हैं.

रघुवर दास महिलाओं, युवाओं एवं समाज के अन्य तबकों के साथ सीधे संवाद कर रहे हैं. सुकन्या योजना के बहाने आधी आबादी को साधने का प्रयास जारी है, तो किसानों को आशीर्वाद योजनाओं के जरिये. लोकसभा के तुरंत बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. इसलिए वह दोनों चुनावों को ध्यान में रखकर अभियान चला रहे हैं. भाजपा के लिए अच्छी बात यह है कि उसके साथ न सीटों के बंटवारे का कोई पेंच है और न प्रत्याशियों के चयन में कोई समस्या. जबकि विपक्षी खेमा इन्हीं सवालों में घिरा हुआ है. उसका स्वरूप तय हो चुका है, लेकिन सीटों पर अभी भी रस्साकशी चल रही है. उसके नेता अपने-अपने तरीके से जनसंपर्क कर रहे हैं. भाजपा विपक्षी खेमे की इस कमजोरी का लाभ उठाने की पूरी कोशिश करेगी. हालांकि, चुनाव में कब कौन हवा आंधी का रूप लेकर समीकरणों एवं संभावनाओं को ध्वस्त कर दे, कहा नहीं जा सकता. मतदाताओं के मन की थाह लेना आसान नहीं है.