बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में भाजपा नेताओं लाल कृष्ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्री उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी और अन्य पर केस चलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए लखनऊ सेशन जज को आदेश दिया है कि वह रोजाना इस मामले की सुनवाई करे। साथ ही यह आदेश भी दिया है कि सुनवाई कर रहे जज का ट्रांसफर नहीं होगा। कोर्ट ने इस मामले में ताजा ट्रायल करने को कहा है। आरोपी नेताओं के खिलाफ धारा 120बी (आपराधिक साजिश रचने) के तहत मामला चलाया जाएगा। कोर्ट ने इस ट्रायल को दो साल में खत्म करने का भी आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को भी आदेश दिया है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि गवाहों को कोर्ट में रोज पेश किया जाए ताकि मामले के ट्रायल में कोई देरी न हो। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि राजस्थान का गवर्नर होने के कारण कल्याण सिंह पर तब तक मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा जब तक वह पद पर बने रहते हैं क्योंकि उन्हें संवैधानिक छूट हासिल है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सीबीआई द्वारा दायर की गई याचिका के बाद आया है जिसमें कहा गया था कि भाजपा नेताओं समेत 14 लोग जिन्हें आपराधिक साजिश के तहत आरोपों से मुक्त कर दिया गया था, उन पर लखनऊ में ट्रायल चलाया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ की अदालत को चार सप्ताह में कार्यवाही शुरू करने और यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि नए सिरे से कोई सुनवाई नहीं होगी। न्यायालय ने यह भी कहा है कि उसके आदेश का शब्दश: पालन होना चाहिए। आदेशों का पालन नहीं किए जाने की स्थिति में पक्षों को न्यायालय के पास आने का अधिकार दिया गया है।

विनय कटियार
विनय कटियार

बता दें कि 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचे को ढहाने से संबंधित दो केस थे। पहले केस में कारसेवक और स्वयंसेवक आरोपी हैं जिसका ट्रायल लखनऊ में हो रहा है। वहीं दूसरा केस वीवीआईपी से संबंधित है जो रायबरेली कोर्ट में चल रहा है। रायबरेली के मामले में सत्र न्यायालय ने आपराधिक षडंयत्र का आरोप हटा दिया था जिसे हाई कोर्ट ने बरकरार रखा लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब दोनों मामलों का विलय हो गया है और यह लखनऊ में ही चलेगा। आईपीसी की धारा 120बी के तहत दोषियों को मृत्युदंड, आजीवन कारावास या दो साल से अधिक सश्रम कारावास की सजा का प्रावधान है।

सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में आडवाणी, जोशी समेत अन्य आरोपियों पर आईपीसी की धारा 153-ए (दो समुदायों के बीच नफरत पैदा करना), 153-बी (राष्ट्रीयता अखंडता के प्रतिकूल बयानबाजी या दावा) और धारा 505 (उपद्रव या सामाजिक शांति भंग करने के मकसद से गलत बयानी करना या अफवाह फैलाना) का आरोप लगाया है। इन सभी मामलों में दोषी पाए जाने पर अधिकतम तीन साल तक की सजा हो सकती है।

आडवाणी, उमा और जोशी के अलावा जिन अन्य नेताओं पर केस चलेगा उनमें भाजपा के राज्यसभा सदस्य विनय कटियार, सतीश प्रधान, भाजपा के पूर्व सांसद रामविलास वेदांति, बैकुंठलाल शर्मा और डॉक्टर सतीश कुमार नागर शामिल हैं। इनके अलावा साध्वी ऋतंभरा, आरएसएस नेता चंपत राय, महामंडलेश्वर जगदीश गुप्त, सीआर बंसल और महंत नृत्यगोपाल दास के नाम भी आरोपियों की सूची में हैं। नृत्यगोपाल दास इस समय रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष हैं।

इस सूची में बाल ठाकरे, अशोक सिंघल, महंत अवैद्यनाथ, गिरिराज किशोर, महंत रामचंद्रदास, मोरेश्वर साबे, परमहंस रामचंद्रदास का नाम भी है मगर इन सभी का निधन हो चुका है। इसलिए इन सभी का नाम सूची से हटा दिया जाएगा।