ओपिनियन पोस्‍ट।

भारतीय राजनीति के युगपुरुष रहे भारत रत्‍न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का राजधानी दिल्‍ली के शांतिवन के निकट राष्‍ट्रीय स्‍मृति स्‍थल पर शुक्रवार को पारंपरिक विधि विधान, मंत्रोच्‍चार व गगनभेदी नारों के बीच पूरे राजकीय सम्‍मान के साथ अंतिम संस्‍कार किया गया। उनकी दत्‍तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य ने मुखाग्नि दी और ग्‍वालियर से बुलाए गए पंडितों ने अंतिम संस्‍कार संपन्‍न कराया। इस मौके पर शस्‍त्र दाग कर उन्‍हें सलामी दी गई।

इससे पहले राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्‍ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्‍यक्ष सुमित्रा महाजन, मुख्‍य न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा, रक्षा मंत्री निर्मला सीता रमण, थल सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ और नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने पुष्‍प चक्र चढ़ा कर श्रद्धांजलि अर्पित की।

भारतीय जनता पार्टी के मुख्‍यालय से शुरू हुई अटल जी की अंतिम यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए और उन्‍होंने स्‍मृति स्‍थल तक की यात्रा पैदल ही पूरी की। कड़ी सुरक्षा और तेज धूप में उमस भरी गर्मी झेलते हुए मोदी भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह के साथ लगभग आठ किलोमीटर पैदल चले। पूरे रास्‍ते में बड़ी संख्‍या में लोग सड़क के किनारे खड़े होकर अपने प्रिय नेता को अंतिम विदाई दे रहे थे।

मौके पर बूंदाबांदी शुरू हो गई, मानो आसमान रो पड़ा। श्रद्धांजलि देने के बाद पार्थिव शरीर से तिरंगा हटाकर उनती दत्‍तक पुत्री की बेटी (नातिन) निहारिका को सौंप दिया गया।

भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामगेयाल वांगचुक ने भाजपा मुख्यालय पहुंचकर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके साथ पीएम नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी मौजूद थीं। उधर,  राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर आम लोगों का प्रवेश शुरू हो गया।

श्रीलंका के कार्यकारी विदेश मंत्री लक्ष्मण किरीला भी दिल्ली पहुंचे। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, डेप्युटी सीएम मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्‍य संजय सिंह ने भाजपा मुख्यालय पहुंचकर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की।

सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि यह अटल जी की विशेषता थी कि उन्होंने कभी राजनीतिक और वैचारिक मतभेदों के कारण मानवता को नुकसान नहीं पहुंचाया। आज देश में इस तरह के सिद्धांतों की जरूरत है।

अंतिम संस्‍कार के मौके पर अटल जी की कविताओं को याद किया जा रहा था। उनकी एक एक कविता अटल प्रासंगिकता से लैस होती है। ऐसी ही उनकी एक कविता ‘क्षमा याचना’ यहां दी जा रही है।

क्षमा करो बापू! तुम हमको,
बचन भंग के हम अपराधी,
राजघाट को किया अपावन,
मंज़िल भूले, यात्रा आधी।

जयप्रकाश जी! रखो भरोसा,
टूटे सपनों को जोड़ेंगे।
चिताभस्म की चिंगारी से,
अन्धकार के गढ़ तोड़ेंगे।