नई दिल्ली।

सैनिकों को खराब खाना परोसे जाने की शिकायतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। सेना के जवानों को परोसे जा रहे भोजन का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आ सकता है। असम में तैनात एक जवान ने आरोप लगाया है कि खराब गुणवत्ता का खाना दिए जाने की शिकायत करने के बाद जवानों ने उसे परेशान करना शुरू कर दिया है। अब तो मामला अदालत तक जा पहुंचा है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक जवान की अर्जी पर 10 जुलाई से खाने की गुणवत्ता मामले की सुनवाई का फैसला किया है। सेना के इस जवान ने याचिका में दावा किया है कि उन्हें निम्न गुणवत्ता का खाना परोसा जाता है। सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा की खंडपीठ ने की जिसे पहले न्यायमूर्ति विनोद गोयल ने सूचीबद्ध किया था।

असम में तैनात जवान ने आरोप लगाया था कि खराब गुणवत्ता का खाना दिए जाने की शिकायत किए जाने के बाद जवानों ने उसे परेशान करना शुरू कर दिया है। जवान के वकील ने मामले का कोई भी ब्योरा देने से इंकार कर दिया और दावा किया कि जवान के जीवन को खतरा है।

बता दें कि सीएजी की पिछले साल सामने आई रिपोर्ट में कहा गया था कि आर्मी के सर्वे में खुलासा हुआ कि 68% जवान खाने को असंतोषजनक या फिर लो लेवल का मानते हैं। सैनिकों को लो क्वालिटी का मीट और सब्जी दी जाती है। राशन भी कम होता है।

इससे पहले जनवरी में बीएसएफ के जवान ने इस तरह के आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर किया था, जिसे अर्धसैनिक बलों ने गलत बताया था। बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव ने फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट किया था,  जिसमें पानी जैसी दाल और जली रोटियां दिखाई गई थीं।

उसके बाद तेज बहादुर पर जांच बैठाई गई थी। कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में हुई जांच में तेज बहादुर यादव को दोषी पाया गया,  जिसके बाद उसे बर्खास्त करने का फैसला किया गया।