मास्‍को।

पुतिन-ट्रंप व अमेरिका-रूस के रिश्‍ते आजकल चर्चा का विषय बने हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि अमेरिका को मास्को की ओर से लगाए गए नए प्रतिबंधों के चलते रूस में अपने दूतावास और महावाणिज्य दूतावास में 755 कर्मी कम करने होंगे। इसके जवाब में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इसे दुखद और बेवजह की कार्रवाई बताया है।

रूसी विदेश मंत्रालय ने आदेश दिया है कि रूस में अमेरिकी राजनयिक कर्मियों की संख्या में एक सितंबर तक कमी लाई जानी चाहिए। मंत्रालय ने कहा कि वह अमेरिकी दूतावास को आदेश दे रहा है कि वह अमेरिकी कांग्रेस की ओर से प्रतिबंधों के नए पैकेज को दी गई मंजूरी की प्रतिक्रिया के तौर पर अब रूस में अपने दूतावास और महावाणिज्य दूतावास के कर्मियों की संख्या को 455 पर सीमित करे।

दरअसल, पुतिन-ट्रंप और अमेरिका-रूस के रिश्तों की पूरी कहानी फ्रीज़ पर लगाए जाने वाले एक चुंबक से बयां होती है। उस पर अमेरिका के निर्माताओं में से एक बेंजामिन फ्रैंकलिन की जगह व्लादीमिर पुतिन की तस्वीर बहुत कुछ कहती है। डोनल्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस में आने के छह महीने के बाद रूसी लोग अमेरिका पर अपना प्रभाव महसूस करने लगे हैं।

पूरी दुनिया में पुतिन की ताकत और ट्रंप की कमज़ोरी को लेकर भी बहस हो सकती है। ऐसा लग रहा है कि व्लादीमिर पुतिन साइबर सुपरपावर चलाने को लेकर बदनाम हो रहे हैं। जब इस चर्चा की शुरुआत हो रही थी तब डोनल्ड ट्रंप रूस के प्रति बहुत सद्भाव दिखा रहे थे। रूस को उम्मीद थी कि अमेरिका के नए राष्ट्रपति दोनों देशों के संबंधों की नई शुरुआत करेंगे।

राष्ट्रपति ट्रंप के छह महीने गुज़रने के बाद भी रूस पर अमेरिकी पाबंदियां अपनी जगह पर बनी हुई हैं। पिछले दिसंबर से अमेरिका में दो रूसी राजनयिक परिसर बंद पड़े हैं। इसे ओबामा ने अपने कार्यकाल में ही बंद किया था। ट्रंप के आने के बाद अमेरिका के साथ ‘ग्रैंड डील’ को लेकर जो अपेक्षाएं थी,  उसकी भी रूस में कहीं चर्चा नहीं हो रही है। लेकिन रूस सीधे तौर पर डोनल्ड ट्रंप पर इसका ठीकरा नहीं फोड़ रहा है।