नई दिल्‍ली। जैसा कि माना जा रहा था कि अखिलेश बजाय कोई नई पार्टी बनाने के, पार्टी को ही अपने नियंत्रण में ले लेंगे। अब कुछ वैसा ही होता नजर आ रहा है। यह अलग बात है कि मुलायम अभी भी पार्टी को अपने हाथ से न निकलने देने की भरसक कोशिश में लगे हैं। लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में रामगोपाल यादव ने घोषणा की है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हैं।

विशेष अधिवेशन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि पार्टी में नेता जी (मुलायम सिंह) की भूमिका अहम बनी रहेगी। लेकिन उन्होंने संदेह जताया कि नेताजी के करीबी लोग उन्हें गुमराह कर सकते हैं। अधिवेशन में इसके अलावा शिवपाल यादव को पार्टी के राज्य अध्यक्ष पद से हटाने और अमर सिंह को पार्टी से निकालने का प्रस्ताव भी पारित किया गया है।

अधिवेशन में मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव दोनों ही मौजूद नहीं थे। पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा, ”नेताजी या पार्टी के ख़िलाफ़ कोई साज़़िश होती है तो साज़िश करने वालों के खिलाफ़ खड़ा होना मेरी ज़िम्मेदारी होगी।”

इससे पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से मुलायम सिंह ने पार्टी कार्यकर्ताओं के नाम एक पत्र लिखकर उनसे लखनऊ में रामगोपाल यादव के बुलाए राष्ट्रीय सम्मेलन में न जाने के लिए कहा है।

इस पत्र में मुलायम सिंह ने रामगोपाल यादव के बुलाए सम्मेलन को पार्टी संविधान के विरुद्ध बताया है और चेतावनी दी है कि इसमें हिस्सा लेने वालों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

समाजवादी पार्टी के इस विशेष अधिवेशन में मंच पर शिवपाल यादव के पोस्टर नदारद हैं। सम्मेलन में लगभग 10 हज़ार पार्टी कार्यकर्ता शिरकत कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने इससे एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके करीबी सहयोगी रामगोपाल यादव को पार्टी में वापस ले लिया था।

दोनों को शुक्रवार को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। झगड़ा आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के टिकट बांटने को लेकर था जिस पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह के बीच मतभेद थे। शनिवार को एक नाटकीय घटनाक्रम में ऐसा जताया गया था कि मतभेद खत्म हो गए हैं। लेकिन ताज़ा घटनाक्रम से मतभेद दोबारा ज़ाहिर हो रहे हैं।