सुरेश राणा शामली की थानाभवन सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं। फायर ब्रांड हिंदूवादी नेता हैं। हाल ही में यूपी चुनाव प्रचार के दौरा इनका बयान आया था, मैं हार गया तो देवबंध में जश्न मनाया जाएगा कि सुरेश राणा का इलाज कर दिया। और अगर जीत गया तो देवबंध और मुरादाबाद में कर्फ्यू लग जाएगा मित्रों। ऐसे न जाने कितने बयान सुरेश राणा की शख्सियत से जुड़कर इन्हें विवादित पहचान दिलाते हैं! संध्या द्विवेदी के सवालों का जवाब भी उन्होंने कुछ इसी अंदाज में की बात।  

सवाल- आप किस मुद्दे को लेकर दोबारा चुनाव में उतरे हैं।

जवाब- विकास का मुद्दा हमारे लिए अहम है। लेकिन, जहां कहीं भी धर्म की बात आएगी, संकट आएगा। बहन-बेटियों की सुरक्षा की बात आएगी हम वहां मौजूद रहेंगे। देखिए आप माने या न माने एक खास कम्युनिटी यहां पर लोगों के बीच असुरक्षा का भाव पैदा कर रही है। हमारी बहनों की इज्जत से खिलवाड़ हो रहा है।

सवाल-कैराना में पलायन के मुद्दे को सांसद हुकुम सिहं ने जोर-शोर से उठाया। इस मुद्दे पर आप उनके साथ हैं?

जवाब- कैराना ही नहीं बल्कि पूरा पश्चिम उत्तर प्रदेश ही कैराना बना हुआ है। डर, दबाव, धमकी की वजह से हिंदू पलायन के लिए मजबूर है। लेकिन अब हम पलायन करने वालों को पलायन कर करवाएंगे।

सवाल- आपकी छवि एक हिंदूवादी नेता की है, जबकि बीजेपी का राष्ट्रीय नारा सबका साथ सबका विकास है। कैसे सामंजस्य बिठाते हैं?

जवाब- जो राष्ट्रीय नेतृत्व का नारा है, वही हमारा भी है। हम सबको साथ लेकर ही चलना चाहते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हिंदुओं पर अत्याचार होते रहें। अपने ही देश के एक हिस्से में उन्हें पलायन करवाया जाता रहे। यह नहीं चलेगा।

सवाल-आपके सामने समाजवादी पार्टी से सुधीर पवांर खड़े हैं। बेहद साफ सुथरी छवि के हैं। दूसरी तरफ आप 2013 के दंगों के आरोपी हैं?

जवाब- देखिए आरोप लगने से आप दोषी तो नहीं हो जाते। दूसरी बात सुधीर पवांर जी अभी तक तो राजनीति में ठीक से आये ही नहीं हैं। सियासत में उतरे हैं। दो चार चुनाव लड़ेंगे। फिर छवि बनेगी।

सवाल-तो क्या आप कह रहे हैं, सियासत में आने के बाद छवि को साफ-सुथरा रखना मुश्किल होता है।

जवाब-मैंने ऐसा नहीं कहा। बाकी काजल की कोठरी में उतरिये फिर बताइयेगा कि कितने उजले रह पाए हैं। आरोप लगाना तो विपक्ष के दांव होते हैं। सियासत दोस्त कम दुश्मन ज्यादा देती है।