तसलीमुद्दीन, राजद सांसद से ओपिनियन पोस्ट की बातचीत-

आप अपनी ही सरकार के मुख्यमंत्री पर आरोप लगा रहे हैं कि वे मुखिया के लायक भी नहीं हैं। क्या आपकी जुबान फिसल गई थी?
नहीं, मैंने जो कुछ कहा उस पर कायम हूं। कुछ लोग नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल कहते हैं। लेकिन मेरा कहना है कि जो प्रदेश में ठीक से शासन नहीं दे सका वह पीएम मैटेरियल कैसे हो सकता है। प्रदेश में शासन पूरी तरह चौपट है और हमारे मुख्यमंत्री बयानों से प्रदेश को बरगला रहे हैं। सरकारी महकमे बेलगाम हो चुके हैं और विकास के नाम पर लूट मची है। यह मुख्यमंत्री की जिम्मेवारी है कि इन चीजों पर लगाम कसें। मगर वे तो देश भ्रमण पर हैं। 12 साल तक भाजपा के कंधे पर सवार होकर मंदिरों और मस्जिदों के पास चौक चौराहों, ग्रामीण क्षेत्रों, गली-मुहल्लों और स्कूलों के सामने शराब की दूकान खुलवाई और अब शराबबंदी को लेकर कानून बना दिया। मैं शराबबंदी के खिलाफ नहीं हूं लेकिन शराबबंदी धीरे-धीरे होनी चाहिए।

आपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अच्छा आदमी बताया है। पार्टी ने कारण बताओ नोटिस में आप से पूछा था कि आपके बयानों से आरएसएस और भाजपा को फायदा पहुंच रहा है?
मंैने पार्टी के कारण बताओ नोटिस के जवाब में नीतीश कुमार के मुकाबले नरेद्र मोदी को अच्छा आदमी बताया था। जो जैसा करेगा उसके बारे में वैसा ही कहा जाएगा। मैंने यह भी कहा है कि गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के दौरान नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री की कार्यशैली में कोई अंतर नहीं है। नीतीश झूठ बोलते हैं कि वे धर्मनिरपेक्ष हैं। मैं तो पापी को पापी ही कहूंगा।
पापी किसे कह रहे हैं?
बिहार की जनता जानती है कि पापी कौन है। आप भी समझ रहे हैं कि मैं पापी किसे कह रहा हूं।

आपने दो मंत्रियों पर महानंदा बेसिन योजना में अनियमितता बरतने का आरोप लगाया है। आरोप के पीछे कोई ठोस वजह?
मेरे केंद्र में मंत्री रहते महानंदा बेसिन योजना के लिए करोड़ों की राशि आवंटित की गई थी। लगभग दस वर्षों से लंबित महानंदा योजना का काम पूरा नहीं हुआ तो उसका पैसा कहां गया इसका हिसाब देना विभाग के मंत्री की जिम्मेवारी है। हम हिसाब मांग रहे हैं तो मंत्री हिसाब नहीं दे रहे हैं क्योंकि इस योजना के पैसों का बंदरबांट हो गया। निष्पक्ष जांच हो तो कई लोग फसेंगे। घोटालेबाज मंत्रियों की वजह से महानंदा बेसिन का काम पूरा नहीं हुआ। अगर काम पूरा हुआ होता तो हमारे इलाके को बाढ़ की त्रासदी नहीं झेलनी पड़ती। लेकिन नीतीश कुमार ने साजिशन ऐसा नहीं होने दिया।

आप राजद के महागठबंधन से अलग होने के पक्ष में हैं लेकिन नीतीश के बाद मुख्यमंत्री कौन होगा?
मैं तो चाहता हूं कि जितनी जल्दी हो सके राजद को जदयू से नाता तोड़ लेना चाहिए। मैंने महागठबंधन होने के समय भी यही कहा था। लेकिन महागठबंधन से अलग होने का फैसला तो लालू यादव को करना है। लालू जिसे चाहे मुख्यमंत्री बना सकते हैं किसी को कोई एतराज नहीं है। मैं नीतीश को सत्ता से हटा कर दम लूंगा। अगले चुनाव में घूम-घूम कर नीतीश की खामियां गिनाऊंगा।

जब से जदयू ने आपके विधायक बेटे को निष्काषित किया है आपने मुख्यमंत्री का विरोध तेज कर दिया है। क्या व्यक्गित कारणों से मुख्यमंत्री के विरोधी हैं?
मैं निर्दलीय भी चुनाव जीत सकता हूं। राजनीति में मैं किसी का मोहताज नहीं रहा हूं। जहां तक मेरे बेटे का सवाल है तो जदयू में कई माननीयों पर गंभीर आरोप लगे मगर उन्हें पार्टी से निष्कासित नहीं किया गया। यह दोमुंहापन है। मैं तो राजनीतिक कारणों से नीतीश कुमार का विरोध कर रहा हूं मगर वे व्यक्तिगत कारणों से विरोधी हैं। मेरा बेटा भी मेरी तरह है। उसने नीतीश कुमार का यस मैन बनने से इनकार किया तो साजिशन पार्टी से निकाल दिया गया।