बहुचर्चित हर्षद मेहता शेयर घोटाले में 24 साल बाद फैसला आया है। मुंबई की विशेष अदालत ने हर्षद मेहता के भाई सुधीर मेहता समेत 6 आरोपियों को 700 करोड़ रुपये के घोटाले का दोषी करार दिया। करोड़ों के इस घोटाले में बैंक के वरिष्ठ अधिकारी और स्टॉक ब्रोकर भी शामिल थे।

साल 1992 में एक ऐसा घोटाला सामने आया, जिसने शेयरों की खरीद-बिक्री की प्रकिया में ऐतिहासिक परिवर्तन किए। हर्षद मेहता इस घोटाले के जिम्मेदार थे। हर्षद मेहता ने बैंकिंग के नियमों का फायदा उठाकर बैंकों को बिना बताए उनके करोड़ों रुपयों को शेयर मार्केट में लगा दिया था। घोटाले के मुख्य आरोपी हर्षद मेहता की 2002 में मौत हो गई थी, जिसके बाद उसके खिलाफ केस को बंद कर दिया गया। अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, जस्टिस शालिनी फनसालकर जोशी ने दोषियों की इस दलील को खारिज कर दिया कि वे करीब दशकों से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या से जूझते रहे हैं, लिहाजा उन्हें माफ कर दिया जाए।

जज ने अपने फैसले में कहा, ‘यह सच है कि इस मामले में अपराध 24 साल पहले यानी साल 1992 में हुआ था। इन 24 सालों में आरोपियों को मानसिक और शारीरिक कष्टों को सहना पड़ा।’ जज ने आगे कहा कि इसके बावजूद अपराध की गंभीरता को भी समझना होगा। अदालत ने कहा कि अपराध बहुत ही गंभीर है, ये नेशनल बैंक से धोखाधड़ी के जरिए करोड़ों रुपये निकालने का मामला है। आरोपियों के इस घोटाले की वजह से देश की अर्थव्यवस्था डगमगा गई थी। जिसके बाद अदालत ने हर्षद मेहता के भाई सुधीर और दीपक मेहता को दोषी करार दिया। साथ ही अदालत ने नेशनल हाउसिंग बैंक के अधिकारी सी. रविकुमार, सुरेश बाबू और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी आर. सीतारमन और स्टॉक ब्रोकर अतुल पारेख को भी मामले में दोषी करार दिया। कोर्ट ने उन्हें धोखाधड़ी , जालसाजी, आपराधिक विश्वासघात से जुड़ी धाराओं और भ्रष्टाचार निवारक कानून के तहत दोषी ठहराया। दोषियों को 6 महीने से 4 साल तक की सजा हो सकती है।

इसके साथ ही अदाल ने दोषियों पर 11.95 लाख का जुर्माना भी लगाया है। मामले में 3 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया। बरी होने वालों में हर्षद मेहता का एक और कजिन हितेन मेहता भी है जो घोटाले के समय महज 19 साल का था। फिलहाल दोषियों की अपील पर अदालत ने अपने फैसले को 8 हफ्तों के लिए आगे बढ़ा दिया है। दोषियों ने शीतकालीन अवकाश और नोटबंदी का हवाला देते हुए जुर्माने की रकम के लिए समय की मांग करते हुए समय मांगा था।