सुनील वर्मा
देश के सबसे बड़े एक लाख छियत्‍तर हजार करोड रुपये के 2जी घोटाले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है। जज ओपी सैनी की सीबीआई की विशेष अदालत मनमोहन सिंह सरकार के समय स्‍पेक्‍ट्रम आवंटन में हुए घोटाले पर गुरुवार को निर्णय दिया। इसमें पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा और द्रमुक सांसद कनीमोई के अलावा अन्‍य को आरोपी बनाया गया था। राजा और कनीमोई सुबह में कोर्ट पहुंच गए थे। आरोपियों के खिलाफ सीबीआई के साथ ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी मामला दर्ज किया था। सीबीआई की चार्जशीट पर विशेष अदालत ने वर्ष 2011 में मामले के 17 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे।

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सीबीआई और ईडी ने आरोपियों के खिलाफ कई आरोप लगाए हैं। विशेष अदालत ने राजा और कनीमोई के अलावा अन्‍य आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्‍न धाराओं के साथ मनीलांड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत आरोप तय किए गए थे। इन पर आपराधिक षडयंत्र रचने, धोखाधड़ी, फर्जी दस्‍तावेज बनाने, पद का दुरुपयोग करने और घूस लेने जैसे आरोप लगाए गए थे। सीबीआई ने 2जी घोटाला मामले में अप्रैल 2011 में आरोपपत्र दाखिल किया था। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि स्‍पेक्‍ट्रम के लिए 122 लाइसेंस जारी करने में गड़बड़ी के कारण 30,984 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2012 को लाइसेंस को रद कर दिया था।

फैसला सुनते ही राजा और कनिमोझी ने हाथ जोड़कर जज का शुक्रिया अदा किया। इस दौरान राजा और कनिमोझी के समर्थकों ने नारेबाजी भी की। समर्थकों ने राजा को कंधे पर उठा लिया और जश्न मनाया। कोर्ट में भी समर्थकों की भारी भीड़ थी। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। अब बड़ा सवाल यह है कि CAG की रिपोर्ट में जिस घोटाले की बात की गई, उसके लिए जिम्मेदार कौन है?

जज ओ. पी. सैनी ने कहा, ‘पैसों का लेनदेन साबित नहीं हो सका इसलिए मैं सभी आरोपियों को बरी कर रहा हूं।’ दिलचस्प बात यह है कि कोर्ट ने यह नहीं कहा है कि घोटाला नहीं हुआ है। कोर्ट ने कहा कि आरोपों के हिसाब से एजेंसियां सबूत पेश करने में नाकाम रहीं। सीबीआई और ED के सूत्रों की ओर से कहा गया है कि फैसले का अध्ययन करने के बाद आगे निर्णय लिया जाएगा।

यह फैसला राजनीतिक लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण है। इसी मामले ने UPA-2 के समय देश की सियासत में भूचाल ला दिया था। सीधे तौर पर कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाए गए थे। आरोप लगाए गए थे कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पूरे मामले की जानकारी थी और वह इस पर चुप्पी साधे रहे। CAG की रिपोर्ट में 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये का घोटाला बताया गया था। सीबीआई की चार्जशीट में 30 हजार करोड़ के नुकसान की बात रखी गई थी। अब इस मामले में आए फैसले पर कांग्रेस फायदा उठाना चाहेगी। कांग्रेस पहले से ही ‘जीरो लॉस थिअरी’ की बात करती रही है।

जोश में आए कांग्रेस के दिग्गज
कोर्ट के इस फैसले के बाद से राजनीतिक गलियारों में भूचाल आ गया है। कांग्रेस सड़क से लेकर सदन तक बीजेपी और तत्कालीन कैग प्रमुख विनोद राय को आड़े हाथों ले रही है। राज्यसभा में कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जिस घोटाले के आरोप पर हम विपक्ष में आए, वह घोटाला हुआ ही नहीं।


उधर, कपिल सिब्बल ने कहा है, ‘साबित हो गया कि विपक्ष के झूठ का घोटाला हुआ है। बिना किसी सबूत के UPA सरकार पर निराधार आरोप लगाए गए।’ पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि सरकार पर लगाए गए गंभीर आरोप निराधार थे, यह साबित हो गया। कांग्रेस पार्टी ने मांग की है कि पूर्व सीएजी विनोद राय को देश से माफी मांगनी चाहिए। राज्यसभा में इस मामले पर जोरदार हंगामा हुआ।

आरोपियों के बरी होने के बाद से डीएमके समर्थकों में खुशी की लहर है। फैसला आने के साथ ही डीएमके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। भारी संख्या में तमिलनाडु से दिल्ली पहुंचे डीएमके समर्थकों ने पार्टी प्रमुख करुणानिधि की पुत्री कनिमोझी के समर्थन में नारे लगाए। कनिमोझी ने फैसले के बाद कहा, ‘न्याय हुआ है और मुझे इसकी खुशी है। मैं अपने समर्थकों और शुभचिंतकों की शुक्रगुजार हूं जो लगातार मेरे साथ खड़े रहे।’