ओपिनियन पोस्ट ब्यूरो

गांव का नाम आते ही एक तस्वीर ख्याल में आती है। इसकी वजह यह है कि हर गांव एक जैसा ही नजर आता है। वहां का रहन सहन, धीमी रफ्तार से चलती जिंदगी, साधारण लोग एक जैसे ही जान पड़ते हैं। मगर इसका यह मतलब कतई नहीं है कि गांव एक दूसरे से अलग नहीं होते या गांव में अलग कुछ भी नहीं है। यदि गांवों का बारीकी से अध्ययन किया जाए तो पाएंगे कि अलग-अलग रीति रिवाजों, संस्कृति, भाषा, रहन-सहन और अपनी- अपनी खासियत की लंबी चौड़ी कहानी गांव खुद में समेटे हुए हैं। इसे जानने के लिए न सिर्फ उस गांव में जाना पड़ेगा बल्कि वहां कुछ समय बिताना भी होगा। प्रदेश में गांवों के रहन-सहन, एकरूपता को प्रदर्शित करने के लिए प्रदेश सरकार के पंचायत विभाग ने एक निर्णय लिया है। हरियाणा देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है जहां गांवों को भी स्टार दिए जा रहे हैं। 6,204 गांवों में से 1,120 गांवों को पंचायती राज महकमे ने स्टार गांव का दर्जा दिया है। इसके तहत गांवों को सात सितारा तक देने की योजना है लेकिन लेकिन योजना के पैमाने पर छह सितारा तक ही गांव पहुंच पाए हैं। सरकार इन गांवों के विकास के लिए अतिरिक्त बजट देगी।
प्रदेश के पंचायत मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने बताया, ‘प्रदेश का हर गांव कुछ न कुछ खासियत अपने अंदर समेटे हुए है। हम बस यह कर रहे हैं कि उनकी इसी खासियत को पहचान कर उसे बढ़ावा दे रहे हैं। विलेज स्टार रेटिंग इसी मुहिम का एक हिस्सा है। छह स्टार वाले गांव पंचायत विभाग से बीस लाख रुपये, पांच स्टार वाले पंद्रह लाख और चार स्टार वाले गांव दस लाख रुपये तक के अतिरिक्त विकास कार्य करवा सकेंगे। हमारी कोशिश है कि कुछ गांव 7 स्टार रेटिंग हासिल करें। इन्हें रेनबो गांव का नाम दिया जाएगा। शांति व भाईचारा बनाए रखने में सबसे अधिक 1,074 गांवों को स्टार गांव घोषित किया गया है। बेहतर शिक्षा नंबर दो पर है और ऐसे 567 स्टार गांव तथा लिंग अनुपात सुधार में बेटियों की संख्या नंबर तीन पर है और ऐसे 109 स्टार गांव घोषित किए गए हैं।’ उन्होंने बताया कि इसी प्रकार गुड गवर्नेंस व स्वच्छता के रेयर स्टार रैंकिंग श्रेणी में क्रमश: 12 व 17 गांव शामिल हैं। हर स्टार पर एक लाख रुपये का पुरस्कार गांवों को मिलेगा। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और स्वच्छता अभियान में बेहतर प्रदर्शन करने वाले गांवों को एक लाख की बजाय डेढ़-डेढ़ लाख रुपये दिए जाएंगे। 50 हजार रुपये उनके लिए बोनस होगा।

खासा मुश्किल था चयन
स्टार रेटिंग के लिए गांवों का चयन बहुत ही मुश्किल काम था। पंचायत विभाग लगातार सरपंचों के साथ मिल कर स्टार रेटिंग के काम में लगा था। हर गांव का डाटा तैयार किया गया। वहां क्या रीति रिवाज है, वहां का रहन सहन कैसा है, गांव में आपसी भाईचारा कैसा है जैसे आंकड़े जुटाए गए। इस तरह के आंकड़े आसानी से नहीं मिलते। इसके लिए अधिकारियों को गांव में खासा समय देना पड़ा। ओमप्रकाश धनखड़ ने बताया, ‘कई जगह तो चार से लेकर पांच दिन तक अधिकारी एक ही गांव में आंकड़े जुटाते रहे। इसके बाद पंचायतों से नॉमिनेशन मांगे गए। विशेषज्ञों की टीम ने नॉमिनेशन पत्रों की जांच की। इसमें दी जानकारी को दोबारा परखा गया। तब जाकर रेटिंग का निर्णय किया गया। यह मुश्किल काम था। चुनौती इसलिए भी ज्यादा थी क्योंकि यह प्रयोग पहली बार हो रहा था। फिर भी उन्होंने इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। हर साल अब इसकी समीक्षा होगी। इसके बाद रेटिंग बढ़ाई और घटाई जा सकती है।’

क्यों उठाया सरकार ने यह कदम
हर गांव की कोई न कोई कहानी है। वहां कुछ न कुछ ऐसा है जो उल्लेखनीय है। अभी तक किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। धनखड़ के मुताबिक, यही वजह है कि गांवों की उपेक्षा होती रही। जिन ग्रामीणों को अपने गांव पर गर्व करना चाहिए था उन्हें ग्रामीण समझ कर उपेक्षित छोड़ दिया गया था। जबकि सच यह है कि असली भारत तो गांव में ही बसता है। ऐसे में हर गांव की कहानी, उसका नाम ऐसा क्यों है, गांव बसने के पीछे क्या वजह थी, वहां क्या-क्या है? इन सब का रिकार्ड जुटाने के लिए रेटिंग सिस्टम अपनाया गया। रूरल स्टडी के प्रोफेसर डॉ. देवप्रसाद शर्मा ने बताया, ‘निश्चित ही इससे गांवों को एक नई पहचान मिली है। लोग भी अपने गांव पर गर्व कर सकते हैं कि वे स्टार रेटिंग गांव में रहते हैं। इस प्रयास के परिणाम आने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा लेकिन गांव के गौरव के लिए इस तरह का कदम उठाना निश्चित ही बड़ा काम है।’

छह स्टार रेटिंग प्राप्त करने वाले तीनों ही गांव पलवल जिले के हैं। इनमें हथीन ब्लॉक का जैनपुर व जानाचौली गांव और पृथला ब्लॉक का नंगलान भीखूवाला गांव शामिल है। पांच स्टार वाले तीन गांवों में पलवल जिले के दो गांव हसनपुर ब्लॉक का भांडोली व हथीन ब्लॉक का घरोट गांव हैं। जबकि तीसरा गांव रोहतक जिले के कलानौर ब्लॉक का काहनौर है। चार स्टार पाने वाले नौ गांवों में नारायणगढ़ ब्लॉक के गांंव अकबरपुर व हरबो, फरीदाबाद का मादलपुर, फतेहाबाद जिले के नागपुर ब्लॉक का बनावाली सौतर व मल्हार, गुरुग्राम (गुड़गांव) का वजीरपुर, बरवाला ब्लॉक का बहबलपुर और हसनपुर ब्लॉक का रामगढ़ व करना गांव शामिल हैं। गांव काहनौर को राष्ट्रीय स्तर पर नानाजी देशमुख और पंडित दीन दयाल उपाध्याय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। सबसे ज्यादा 407 स्टार गांव अंबाला जिले के हैं। दूसरे नंबर पर गुरुग्राम के 199 गांव हैं। तीसरे नंबर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का गृह जिला करनाल है। इस जिले के 75 गांवों को स्टार मिला है। जबकि निचले तीन पायदानों पर रेवाड़ी के चार, चरखी दादरी के पांच और पंचकूला के सात गांवों को ही स्टार मिला है। ओमप्रकाश धनखड़ का कहना है कि यह तो शुरुआत है। इसमें सुधार करते रहेंगे। उनकी तो यही कोशिश है कि प्रदेश का हर गांव सेवन स्टार रेटिंग में शामिल हो। इसी को ध्यान में रख कर योजना बनाई जा रही है। 