राजीव थपलियाल।

भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस और गुड गवर्नेंस के प्रति प्रतिबद्धता जैसे दावों से कई बार रोलबैक कर चुकी उत्तराखंड सरकार ने रोजगार सृजन के क्षेत्र में मजबूती से कदम रखा है। स्किल इंडिया या कौशल विकास योजना जैसी केंद्र पोषित परियोजनाओं को छोड़ भी दें तो स्थानीय स्तर पर कई अभूतपूर्व प्रयास हुए हैं। इसके तहत जहां मौजूदा वर्ष को रोजगार वर्ष के रूप में मनाने के मुख्यमंत्री के एजेंडे पर कैबिनेट ने मुहर लगाई है वहीं पर्यटन को उद्योग का दर्जा देते हुए एमएसएमई नीतियों में भी कई बदलाव किए गए हैं। सरकार की इन योजनाओं का क्या लाभ होगा, यह आगे चलकर साफ होगा परंतु योजना को लेकर सरकार की मंशा पर तनिक भी संदेह नहीं है।
उत्तराखंड सरकार ने वर्ष 2018 को रोजगार वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय किया है। सरकार की इस योजना को 17 मई को नई टिहरी की झील में आयोजित कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गई। इस ऐतिहासिक कैबिनेट में तीन बड़े फैसले किए गए। एमएसएमई पॉलिसी यानी माइक्रो, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग की नीतियों में संशोधन किया गया है। इस बदलाव के बाद पर्यटन से जुड़ी करीब एक दर्जन गतिविधियों को उद्योग का दर्जा दिया गया है। नीतियों में संशोधन का नतीजा यह होगा कि अब आयुर्वेद, योगा, पंचकर्मा, जॉय राइडिंग, राफ्टिंग आदि के लिए उद्यमियों को अनुमन्य तमाम सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। खास बात यह है कि पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने से पहले सरकार ने पूरा अध्य्यन किया और उद्योग विभाग के जरिये इसकी रिपोर्ट तैयार कराई। इस योजना के तहत 60 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। इसी प्रकार सरकार ने मेगा इंडस्ट्री इन्वेस्टमेंट नीति तैयार की है। आयुष और वेलनेस सेक्टर को इस नीति के दायरे में लाया गया है। अब होटल, रिजॉर्ट, कायाकिंग, सी प्लेन उद्योग, आयुर्वेद और योगा जैसी 22 गतिविधियां मेगा इंडस्ट्रियल पॉलिसी के अंतर्गत हर प्रकार का लाभ ले सकेंगी। इसी तरह माइक्रो सेक्टर में रोजगार सृजन करने के लिए सरकार ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना में 11 नई गतिविधियों को शामिल किया है। इन गतिविधियों में कायाकिंग, टेरेंनबाइकिंग, कैरावैन, ऐंग्लिंग, स्टार गेसिंग, बर्ड वाचिंग जैसे कार्यों के लिए उपकरणों के क्रय हेतु सहायता दी जाएगी। इन सभी कवायदों के साथ मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट पिरुल नीति पर भी कैबिनेट ने मुहर लगा दी। पिरुल नीति के तहत बायो फ्यूल के उत्पादन के लिए देहरादून में एक कारोबारी को लाइसेंस भी दे दिया गया है। इस तरह पहली बार ऐसा लग रहा है कि रोजगार की योजनाएं कागजों से बाहर आने लगी हैं। पर्यटन और रोजगार के क्षेत्र में सबसे बड़ा फैसला यह लिया गया है कि प्रदेश के 13 जिलों में 13 नए टूरिस्ट डेस्टीनेशन बनाए जाएंगे।
यह एक महत्वाकांक्षी योजना है और इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन होगा। पर्यटन को उद्योग का दर्जा मिलने के बाद सभी जिलों में कम से कम एक नया टूरिस्ट डेस्टीनेशन तैयार करने से बेरोजगारों को स्वरोजगार के लिए अवसर मिलेंगे। क्योंकि प्रदेश की औद्योगिक नीति के तहत टूरिस्ट गतिविधियों के लिए सरकार आसान शर्तों पर ऋण देगी और टैक्स में कई तरह की छूट मिलेगी। इतना ही नहीं, सरकार ने नए टूरिस्ट डेस्टीनेशन वाले इलाके में लैंड यूज बदलने का भी फैसला लिया है। यानी टूरिस्ट डेस्टीनेशन वाला इलाका यदि मौजूदा समय में कृषि या व्यावसायिक या आवासीय श्रेणी में आता है तो वह औद्योगिक श्रेणी में कन्वर्ट हो जाएगा। जो नए टूरिस्ट गंतव्य घोषित हुए हैं उनमें टिहरी जिले में टिहरी बांध की विशालकाय 42 वर्ग किलोमीटर झील को पूर्ण रूप से विकसित कर नया अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल बनाना शामिल है। इसके अतिरिक्त अल्मोड़ा में कटारमल का सूर्य मंदिर, नैनीताल में मुक्तेश्वर धाम, पौड़ी में सतपुली और खैरासैण, चमोली में गैरसैण और भराड़ीसैण, देहरादून में महाभारत सर्किट के रूप में लाखामंडल, हरिद्वार में पावन भूमि शक्तिपीठ, उत्तरकाशी में मोरी हर की दून, रुद्रप्रयाग में चिरबटिया, ऊधमसिंह नगर में गुलरभोज, चंपावत में देवीधुरा, बागेश्वर में गरुण वैली और पिथौरागढ़ में मोस्टमानो शामिल हैं। उत्तराखंड फिल्म नीति 2015 में संशोधन के बाद जिस तरह प्रदेश में फिल्मों की शूटिंग को शुल्क फ्री कर दिया गया है उससे जाहिर है कि नए टूरिस्ट डेस्टीनेशन का लाभ जरूर मिलेगा।

सीएम का पैतृक गांव भी बना टूरिस्ट गंतव्य
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का पैतृक गांव खैरासैंण अब पर्यटन विकास के लिहाज से भी चमक बिखेरेगा। ‘13 जिले-13 पर्यटक स्थल’ योजना में खैरासैंण को भी शामिल किया गया है। इस योजना के तहत सतपुली से लेकर खैरासैंण तक पर्यटन के लिहाज से तमाम गतिविधियां संचालित की जाएंगी। इस कड़ी में खैरासैंण और सतपुली में पूर्वी नयार नदी में झील बनाकर पर्यटकों को आकर्षित करने की योजना है। खैरासैंण गांव कोटद्वार-पौड़ी राजमार्ग पर पूर्वी नयार नदी के तट पर बसे सतपुली कस्बे से महज पांच किलोमीटर के फासले पर है। एक दौर में यहां स्थित राजकीय इंटर कॉलेज आसपास के कई गांवों के शिक्षा का मुख्य केंद्र था। पौड़ी जिले के जयहरीखाल विकासखंड की मल्ला बदलपुर पट्टी के अंतर्गत आने वाला पूर्वी नयार नदी से कुछ ही फासले पर बसा खैरासैंण समृद्ध खेती-बाड़ी के लिए भी मशहूर है।
मुख्यमंत्री की पहल पर स्वैच्छिक चकबंदी की ओर भी यहां के निवासियों ने कदम बढ़ाए हैं। वर्तमान में लगभग 75 परिवारों वाले इस गांव को अब पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके तहत सतपुली से लेकर खैरासैंण तक पर्यटन विकास की विभिन्न गतिविधियां संचालित की जाएंगी। यही नहीं, सतपुली व खैरासैंण में पूर्वी नयार नदी पर झील बनाने की योजना पाइपलाइन में है। होम स्टे समेत अन्य योजनाएं भी इन क्षेत्रों में संचालित की जाएंगी, ताकि रोजगार के अवसर सृजित होने के साथ ही क्षेत्र की आर्थिकी संवर सके। खैरासैंण के पर्यटक स्थल बनने पर यहां आने वाले सैलानियों के लिए प्रसिद्ध श्री ताड़केश्वरधाम पहुंचना भी बेहद आसान होगा। देवदार के वनों के बीच स्थित यह सुरम्य स्थल महज 15 किलोमीटर के फासले पर है। यही नहीं, गढ़वाल राइफल्स का मुख्यालय छावनी नगर लैंसडौन की दूरी भी खैरासैंण से 35 किलोमीटर के आसपास है। जाहिर है कि इन स्थलों में तो सैलानी जाएंगे ही, आसपास के क्षेत्र भी विकसित होंगे।

टिहरी झील जैसा आकर्षण कहीं नहीं: सीएम
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 17 मई को टिहरी की कोटीकलोनी में पहुंच कर टिहरी लेक फेस्टिवल की तैयारियों का निरीक्षण किया। 25 मई से इस फेस्टिवल का आयोजन होना है। निरीक्षण के दौरान सीएम ने कहा कि थोड़ी सी मेहनत से टिहरी झील को विश्वस्तरीय पर्यटन केंद्र बनाया जा सकता है। सीएम ने दावा किया है कि पूरी दुनिया में टिहरी झील जैसा आकर्षण कहीं और नहीं है। मुख्यमंत्री ने टिहरी लेक फेस्टिवल का राष्ट्रीय स्तर के साथ ही विदेशी पर्यटकों के मध्य भी प्रचार किया जाना उचित होगा। सीएम ने कहा कि टिहरी को इंटरनेशनल स्तर का टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाना है। उन्होंने कहा कि आज के प्रयास आने वाले कल को ध्यान में रखते हुए नियोजित किए जाएं। मुख्यमंत्री ने बोट के द्वारा टिहरी झील में लगभग 30 मिनट निरीक्षण किया।