भारतीय जांच एजेंसियों को एक बड़ा झटका लगा है क्योंकि इटली ने अगस्ता वेस्टलैंड रिश्वत मामले में कथित बिचौलिए कार्लो गेरोसा को प्रत्यर्पित करने से इनकार कर दिया है। इटली का कहना है कि भारत के साथ इस संबंध में कोई कानूनी सहायता संधि नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, हालिया घटनाक्रम के बाद सीबीआई ने उन प्रावधानों को बताते हुए विदेश मंत्रालय से बातचीत की थी जिसके तहत उसे दोनों देशों के बीच बिना कोई कानूनी संधि हुए भी प्रत्यर्पित किया जा सकता है।

सूत्रों ने कहा कि कार्लो वैनेंटिनो फर्डिनान्डो गेरोसा (71) एक इतालवी और स्विस नागरिक है जिसके बारे में माना जाता है कि उसने रिश्वत घोटाले में एक अहम भूमिका निभायी। VVIP हेलीकॉप्टर सौदे के लिए तकनीकी विशेषताओं में हेरफेर की प्रक्रिया उसके और पूर्व वायुसेना प्रमुख एस पी त्यागी के रिश्तेदार के बीच कथित रूप से एक बैठक के बाद शुरू हुई थी। उन्होंने कहा कि इंटरपोल ने गेरोसा के खिलाफ एक रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। गेरोसा इस मामले के वांछित तीन कथित बिचौलियों में से एक है और उससे पूछताछ और उसका बयान मामले की जांच कर रहीं प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई दोनों के लिए बहुत जरूरी है।

क्या है मामला?

यूपीए सरकार-2 के समय फरवरी 2010 में इटली की कंपनी फिनमेक्कैनिका की सहायक कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड के साथ वीआईपी हेलिकॉप्टर के लिए करार किया गया था। करार के मुताबिक 3,600 करोड़ रुपये में 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टर खरीदे जाने थे। इन हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और दूसरे वीवीआईपी लोगों के लिए किया जाना था।