निशा शर्मा

कठुआ गैंग रेप केस में दिन ब दिन नए मोड़ आ रहे हैं, जिसकी एक नई कड़ी में मामला पठानकोट पहुंच गया है। हालांकि इस बात की भी खूब चर्चा रही कि जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री ने मामले को अपने अपने ही राज्य में निपटा लेने की भरपूर कोशिश की, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल सकी। जानकार कहते हैं कि यह केस राजनीतिक यानी चुनावी तौर पर पीडीपी के लिए बड़ा मोहरा हो सकता था जिसे वह 2019 के चुनावों में भुनाती जरूर। यही कारण था कि सत्ता के गलियारों में इस केस को लेकर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अपनी सहयोगी पार्टी बीजेपी से भी कड़ा रुख अख्तियार किया। राज्य में ऐसी चर्चा थी कि मुख्यमंत्री ने बीजेपी को कड़े शब्दों में कहा था कि केस राज्य से बाहर नहीं जाएगा और न ही उसकी सीबीआई जांच होगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। राज्य में केस बीजेपी के लिए गले की हड्डी साबित हो रहा था जिसे न तो वह निगल सकती थी न ही उगल सकती थी। बीजेपी एक ओर सीबीआई जांच की मांग कर रही थी तो दूसरी तरफ सीबीआई जांच की मांग करने वाले दो मंत्रियों (चंद्र प्रकाश गंगा और लाल सिंह) से अपना गठबंधन बचाने के चलते ही इस्तीफा लेना पड़ा।
मामला राज्य से बाहर पंजाब के पठानकोट पहुंचने पर ओपिनियन पोस्ट ने जम्मू में कई लोगों से बात करनी चाही, लेकिन कोई भी सीबीआई जांच की मांग से परे या निष्पक्ष बोलने को तैयार नहीं था। लंबे समय से जम्मू में पत्रकारिता कर रहे राष्ट्रीय सहारा के ब्यूरो चीफ वरिष्ठ पत्रकार सतीश वर्मा ने केस के कई पहलुओं पर चर्चा की और कहा कि जम्मू कश्मीर सरकार ने कभी नहीं चाहा कि मामला राज्य से बाहर जाए। इसके लिए सरकार ने फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने के लिए भी कह दिया था। ताकि मामले पर सुनवाई जल्द से जल्द हो सके। सरकार का इस मसले पर कहना था कि दो सौ से ज्यादा गवाहों को राज्य से बाहर आने जाने में दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। वहीं पीड़ित पक्ष को लगता था कि अगर सुनवाई राज्य में होती है तो उनको डराया धमकाया जा सकता है। उसका जिक्र भी पीड़िता के पिता कई बार कर चुके थे। वहीं आरोपियों के लिए भी राज्य से बाहर केस जाने का एक फायदा है, क्योंकि जितनी भी मेडिकल रिपोर्ट आर्इं उनमें भिन्नता पाई गई। किस मेडिकल रिपोर्ट को सही माना जाए और किसे गलत, इस पर भी सवाल उठ रहे थे। ऐसे में मामला राज्य से बाहर जाने पर दोनों पक्षों ने राहत महसूस की है।
बहुचर्चित पीड़िता की वकील दीपिका सिंह राजावत ने कई बार मीडिया से कहा था कि केस को दबाने की कोशिश हो रही है। लेकिन अब वह कोर्ट के फैसले पर संतोष जताती हैं- ‘हम निष्पक्ष जांच चाहते थे और अब मुझे ऐसा लग रहा है कि निष्पक्ष जांच हो पाएगी। राज्य में रह कर ऐसा मुमकिन नहीं लग रहा था।’ आपको राज्य में रह कर क्या दिक्कतें महसूस हो रही थीं पर उन्होंने जवाब तो नहीं दिया, लेकिन इतना जरूर कहा कि अब पीड़िता को इंसाफ जरूर मिलेगा। राज्य सरकार ने पीड़ित पक्ष का साथ दिया तो ऐसे में क्या परेशानी हो सकती थी। इस पर भी उन्होंने कुछ नहीं कहा, लेकिन इसका जिक्र जरूर कर दिया कि राज्य सरकार ने केस दूसरे राज्य में स्थानांतरित होने पर कोर्ट के फैसले पर विरोध जताया था।
मामला केस के स्थानांतरण का ही नहीं, सीबीआई जांच की मांग का भी था। कहा जा रहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग को सिरे से खारिज कर दिया है, जो एक तरह से आरोपियों के लिए बड़ा झटका था। इस पर आरोपियों के वकील अंकुर शर्मा कहते हैं- ‘माननीय कोर्ट ने केस की सीबीआई जांच मसले पर चर्चा ही नहीं की। मीडिया ने बात को गलत तरह से पेश किया। कोर्ट का कहना था कि पीड़िता के पिता ने मुख्यत: इस मसले पर याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई की गई है। आर्टिकल पच्चीस के तहत हम कोर्ट में दोबारा याचिका डालेंगे, करीब एक हफ्ते के अंदर हम मामले में सीबीआई जांच की मांग की याचिका कोर्ट में सौंप सकते हैं। उस पर कोर्ट सुनवाई करेगा। सीबीआई जांच की मांग इस केस में इसलिए महत्वपूर्ण है ताकि केस के दोनों पहलुओं को देखा जाए। ऐसा न हो कि जम्मू-कश्मीर क्राइम ब्रांच की एकतरफा चार्जशीट की वजह से किसी निर्दोष को सजा मिल जाए।’ क्राइम ब्रांच की चार्जशीट में क्या खामियां नजर आ रही हैं पर वह कहते हैं-‘कई खामियां हैं, जिनमें से कई गवाहों पर दबाव बनाकर झूठा बयान देने को कहा गया है। एटीएम में उस लड़के (विशाल जंगोत्रा) का वीडियो हमारा सबूत है, जिसे हम कोर्ट के सामने रखेंगे।’
कुछ जानकारों का कहना था कि जांच पड़ताल कर रही टीम ने जानकारी दी थी कि सांझी राम ने घटना के समय दस लाख रुपये अपने बैंक अकाउंट से निकलवाए हैं, जिसकी जानकारी मांगने पर वह कोई जवाब नहीं दे पा रहा है। जांच पड़ताल करने वाली टीम के मुताबिक सांझी राम का कहना है कि उसने दस लाख रुपये शौचालय बनाने के लिए निकलवाए हैं। इस आधार को लेकर भी क्राइम ब्रांच पुख्ता सबूत जुटा रही थी। हालांकि सांझीराम की बेटी मोनिका कहती हैं कि उनके पास पूरी बैंक डिटेल है, जिसमें दस लाख तो दूर 5 लाख भी 6 महीनों में नहीं निकले हैं। पैसा जनवरी में निकलना चाहिए था, लेकिन मेरे पिता के अकाउंट से नहीं निकला है। 2-3 लाख छह महीनों के अंदर मेरे पिता ने निकाला हुआ है। मैंने पास बुक की कॉपी अपने वकील को दी है ताकि सही जानकारी दी जा सके।
उधर, क्राइम ब्रांच का कहना है कि विशाल के फोन की लोकेशन उस जगह की आ रही थी जहां बच्ची को रखा गया था। इस पर मोनिका कहती हैं कि फोन क्राइम ब्रांच के पास है। उन डिटेल का तो उन्हें ही पता होगा। बस आप इतना बताइए कि क्या जब क्राइम ब्रांच फोन जब्त करती है तो उस फोन का इस्तेमाल करती है। मेरे भाई का फोन कस्टडी में इस्तेमाल किया जा रहा है। 3 अप्रैल को व्हाट्सऐप में लास्ट सीन दिखा रहा है। फेसबुक को इस्तेमाल किया गया है। ये लोग क्या चाहते हैं हमसे। क्यों निर्दोष लोगों को फंसाने में लगे हुए हैं। हम निर्दोष हैं क्योंकि हमारे पास सबूत हैं, हमें किसी का डर नहीं है। जिन्हें डर है, वे तीन दिन से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं, वह क्यों मोदी जी के पीछे-पीछे घूमते हुए कर्नाटक पहुंच गई हैं। क्योंकि वह आरोपियों को बचाना चाहती हैं। आप किसकी बात कर रही हैं पर मोनिका कहती हैं- ‘मैं महबूबा मुफ्ती की बात कर रही हूं, उनके इस रवैये से हमें लग रहा है कि मामले की सीबीआई जांच नहीं करवाई जाएगी और हमें इंसाफ नहीं मिलेगा।’ 