आतंकवादियों को पनाह देने और आतंक को बढ़ावा देने से नाराज अमेरिका ने पाकिस्तान पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए 25.5 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद पर रोक लगा दी है। व्हाइट हाउस ने इसकी पुष्टि की है। इससे पहले साल के पहले दिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ट्वीट कर पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि अगर उसने आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की तो उसे जारी आर्थिक मदद रोक दी जाएगी।

व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी कर कहा है कि इस तरह की मदद का भविष्य इस्लामाबाद द्वारा अपनी जमीन पर मौजूद आतंकियों पर की जाने वाली कार्रवाई पर निर्भर करेगा। व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने साफ कर दिया है कि अमेरिका पाकिस्तान से चाहता है कि वो अपनी जमीन पर मौजूद आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। पाकिस्तान के दक्षिण एशिया रणनीति के लिए किए गए एक्शन से हमारे रिश्तों की दिशा तय होगी जिसमें भविष्य में मिलने वाली सुरक्षा निधि भी शामिल है।

झूठा और कपटी है पाकिस्तान : ट्रंप
बता दें कि नए साल के पहले ही दिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को झूठा और कपटी करार दिया था। ट्रंप ने ट्वीट किया, ‘पाकिस्तान को 15 साल में 33 अरब डॉलर (दो लाख दस हजार करोड़ रुपये) की भारी-भरकम सहायता दी गई। बदले में उसने हमें कुछ नहीं दिया। केवल झूठ बोला और धोखा दिया। उसने हमारे नेताओं को बेवकूफ बनाया।’ यह पाकिस्तान को किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से सबसे कड़ी फटकार है। ट्रंप की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब कुछ ही दिन पहले अमेरिकी अखबार “न्यूयॉर्क टाइम्स” ने खबर दी थी कि अमेरिका पाकिस्तान को दी जाने वाली 1,436 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद रोकने पर विचार कर रहा है।

हाफिज के संगठनों पर पाकिस्तान ने लगाई पाबंदी

ट्रंप के ट्वीट के बाद पाकिस्तान मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और जमात उद दावा के सरगना आतंकी हाफिज सईद पर कार्रवाई करने की तैयारी में है। लेकिन यह कार्रवाई सीधे उसके ऊपर न होकर उसके जरिये चलाई जा रही चैरिटी और अन्य संस्थाओं पर होगी। इसमें हाफिज सईद की दो चैरिटी जमात-उद-दावा (जेयूडी) और फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन को अपने नियंत्रण में लेना भी है। हालांकि यह कार्रवाई अमेरिकी दबाव में ही हो रही है।

HafizSaeedफिलहाल पाकिस्तान की वित्तीय नियामक निकाय ने जमात-उत-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन के चंदा वसूलने पर रोक लगा दी है। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, पाकिस्तान के प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (एसईसीपी) ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के अग्रिम पंक्ति के संगठन जमात के साथ ही कुछ अन्य संगठनों पर भी रोक लगाई है। इन संगठनों के नाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित संगठनों की सूची में शामिल हैं।इनमें पासबां-ए-अहले-हदीस और पासबां-ए-कश्मीर एवं अन्य भी शामिल हैं।

आयोग की अधिसूचना में चेतावनी दी गई है कि नियम का पालन नहीं करने पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। पाकिस्तान सरकार ने लागू प्रतिबंध का पालन नहीं करने पर एक करोड़ रुपये तक जुर्माना लगाने का प्रस्ताव किया है। गौरतलब है कि अमेरिका ने जमात उद दावा और फलह ए इंसानियत को लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा (टेररिस्ट फ्रंट) बताया है। लश्कर ए तैयबा की स्थापना हाफिज सईद ने 1987 में की थी जिस वाशिंगटन और भारत दोनों ही 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार मानते हैं।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्‍बासी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आरोपों और सहायता राशि रोक देने के बाद कैबिनेट और राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुलाई है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में ट्रंप की टिप्पणी चर्चा का मुख्य मुद्दा होगा। कैबिनेट की बैठक के बाद बुधवार को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की बैठक होगी।