अरुण पांडेय

इस साल जुलाई-अगस्त में इतिहास रचा जाएगा और अब अगले बीस साल दुनिया की सबसे बड़ी कंज्यूमर स्टोरी भारत के नाम होंगी। ये कहना है दुनिया का दिग्गज बैंक गोल्डमैन सैक्स का। यह बात जीएसटी की अहमियत बताने के लिए काफी है। गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के बगैर जब भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही इकोनॉमी बन सकता है तो लागू होने के बाद ग्रोथ का अंदाज लगाया जा सकता है।

एक जुलाई के बाद पूरा देश एक बाजार और एक टैक्स। इस बाजार में 100 अरब से ज्यादा कंज्यूमर होंगे। तरह-तरह के दो दर्जन टैक्स की समाप्ति। तभी तो वित्तमंत्री अरुण जेटली का कहना है कि हम इतिहास बनता हुआ देख रहे हैं। स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे बड़ा टैक्स सुधार तमाम राजनीतिक मतभेदों के बाद साकार होने जा रहा है। जीएसटी देश टैक्स चोरी पर काफी हद तक लगाम लगा सकता है और हर राज्य में अलग-अलग टैक्स की दिक्कत से मुक्ति मिल सकती है। इंडस्ट्री संगठन फिक्की के एक सर्वे के मुताबिक देश में सिस्टम और टैक्स के दायरे से बाहर रहने वाली सेवाओं और वस्तुओं में खासी बढ़ोतरी हुई है। खास तौर पर खाने-पीने की चीजों और आॅटो कलपुर्जों में तो टैक्स की चोरी बहुत होती है। लेकिन जीएसटी काफी हद तक इस पर रोक लगा देगा।

जीएसटी से क्या बदलेगा
1. ज्यादातर इनडायरेक्ट टैक्स खत्म
2. केंद्र और राज्य मिलकर टैक्स वसूली करेंगे
3. पेपरवर्क कम होगा, वक्त और लागत कम होगी
4. जीएसटी लागू होने से राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई केंद्र करेगा

जीएसटी लागू होने से फायदा
1. जीडीपी में 2 साल में 2% बढ़ोतरी मुमकिन
2. टैक्स चोरी रोकने का असरदार तरीका
3. पूरा देश एक बाजार बनेगा
4. राज्यों की सीमाओं पर ट्रकों की लंबी लाइन से छुटकारा
5. छोटी और मझोली इंडस्ट्री के लिए बड़ा बाजार तैयार

जीएसटी की अहम बातें
1. 1 जुलाई 2017 से लागू होगा जीएसटी
2. 18-19 मई को श्रीनगर में जीएसटी काउंसिल की बैठक
3. जीएसटी की दरें 18-19 मई को तय होंगी
4. जीएसटी काउंसिल टैक्स से जुड़े नियम तैयार करेगी
5. रजिस्ट्रेशन, रिटर्न, रिफंड, इनवॉयस और डेबिट-क्रेडिट के नियम तय होंगे
6. 4 तरह की दरें होंगी- 5%, 12%, 18%, 28%
7. 5000 चीजों पर 4 स्लैब में दरें तय की जाएंगी
8. 25 से ज्यादा टैक्सों से छुटकारा मिलेगा
9. इनकम टैक्स समेत करीब 6 टैक्स ही रह जाएंगे

जीएसटी का आपके जीवन पर असर
इंडस्ट्री से लेकर कंज्यूमर तक सब यही जानना चाहते हैं कि किस चीज पर कितना टैक्स लगेगा। इस पर फैसला 18 और 19 मई को जीएसटी काउंसिल की बैठक में होगा। अभी टैक्स की चार दरें रखी गई हैं। 5, 12, 18 और 28 फीसदी। वित्तमंत्री अरुण जेटली के मुताबिक आम आदमी के इस्तेमाल होने वाली चीजों पर टैक्स की दरें कम होंगी। उनका कहना है कि हवाई चप्पल और बीएमडब्ल्यू कार में टैक्स की दरें समान नहीं रह सकतीं। वित्तमंत्री का कहना सही है, लेकिन 5000 चीजों में टैक्स की दरें 4 स्लैब में ही तय होंगी।

क्या-क्या महंगा होगा
क्रिसिल के इकोनॉमिस्ट डी के जोशी के मुताबिक जीएसटी लागू करने से छोटी अवधि में महंगाई बढ़ सकती है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि ज्यादातर आइटम अब टैक्स दायरे में आ जाएंगे। लेकिन लंबी अवधि में सिस्टम दुरुस्त होने से बहुत से आइटम सस्ते भी होंगे। जीएसटी में आधुनिक लाइफस्टाइल का ध्यान रखा गया है। इसलिए सेहत के लिए हानिकारक चीजों पर सिन (पाप) टैक्स और पर्यावरण पर बुरा असर डालने पर भी सेस लगाया जाएगा।

  • लग्जरी कारें, पान मसाला और सिगरेट महंगे हो जाएंगे। इन पर अधिकतम रेट 28 फीसदी जीएसटी के अलावा सेस भी लगेगा।
  • बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज जैसी कारों पर 28 फीसदी टैक्स और 15 परसेंट सेस लगेगा और टैक्स 40 फीसदी से अधिक होगा।
  • तंबाकू प्रोडक्ट में 290 फीसदी और पान मसाला में 135 फीसदी सेस मुमकिन है।
  • कोल्ड ड्रिंक्स, परफ्यूम और लग्जरी घड़ियों पर भी अधिकतम जीएसटी और सेस लगेगा।
  • दफ्तर में कंपनी के खर्च से सस्ता खाना मिलता है। अब उस पर भी जीएसटी लगेगा।
  • जीएसटी के तहत जिस कर्मचारी को फ्री सर्विस या सामान मिलता है, उसे टैक्स देना होगा।
  • दफ्तर का क्लब, जिम वगैरह सभी टैक्स के दायरे में आ जाएंगे।
  • प्रोफेशनल को अगर कंपनी की तरफ से नॉन कंपीट फीस लगती है तो उस पर टैक्स लगेगा।
  • पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस जैसी तमाम सरकारी सर्विस पर भी जीएसटी लगने की आशंका है। इससे तमाम सर्विस महंगी हो जाएंगी।
  • कोल और लिग्नाइट पर 400 रुपये प्रति टन पर्यावरण सेस लग सकता है।

प्रॉपर्टी कारोबार को झटका
सबसे बड़ा झटका प्रॉपर्टी से जुड़े कारोबार को लगेगा। अब घर खरीदना तो महंगा होगा ही, प्रॉपर्टी लीजिंग और किराया पर भी जीएसटी लगने के आसार हैं। इसे सर्विस माना गया है। इसलिए इनमें किसी भी दर से टैक्स लगा तो भी तमाम प्रॉपर्टी महंगी हो जाएंगी। यही नहीं, होमलोन के लिए ईएमआई यानी किस्त पर जीएसटी लग सकता है। इससे होम लोन की किस्त बढ़ जाएगी।

अंडर कंस्ट्रक्शन घरों में भी जीएसटी लगेगा। अभी इनमें 9 फीसदी सर्विस टैक्स और वैट लगता है। लेकिन जानकारों के मुताबिक यह जीएसटी में 12 फीसदी के ब्रेकेट में आ सकता है। इससे अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी में टैक्स तीन फीसदी बढ़ जाएगा।

क्या-क्या सस्ता होगा
कई सर्विस और आइटम जीएसटी लागू होने के बाद सस्ते भी होंगे। दरअसल अभी अलग-अलग टैक्स होने की वजह से दर ज्यादा हो जाती है, लेकिन सिर्फ जीएसटी लागू होने से टैक्स कम भी हो जाएगा।
व्हाइट गुड्स जैसे फ्रिज, वॉशिंग मशीन, एयर कंडीशनर वगैरह सस्ते हो सकते हैं। अगर इन पर अधिकतम 28 फीसदी के हिसाब से टैक्स लगा तब भी यह मौजूदा टैक्स से कम होगा। अभी अलग-अलग टैक्स मिलाकर टैक्स 31 फीसदी तक पहुंच जाता है।
फूड आइटम, साबुन, तेल, टूथ पेस्ट व हवाई चप्पल जैसी आम जरूरत की चीजें सस्ती हो जाएंगी। उम्मीद की जा रही है कि इन्हें 12-18 फीसदी टैक्स के दायरे में रखा जाएगा। अभी इनमें टैक्स औसतन 20 फीसदी बैठता है।

जीएसटी: किस पर क्या असर होगा

  1. 1 जुलाई से अंडर कंस्ट्रक्शन घरों के लोन की किस्त में जीएसटी लगेगा
  2. प्रॉपर्टी किराये और लीजिंग में भी जीएसटी लगेगा
  3. अभी तक टैक्स फ्री रेजिडेंशियल हाउसिंग पर भी टैक्स लगेगा
  4. सेंट्रल जीएसटी के मुताबिक प्रॉपर्टी किराया को सर्विस माना जाएगा
  5. जमीन या बिल्डिंग की बिक्री जीएसटी के दायरे से बाहर होगी
  6. जुलाई से घरों की किस्त बढ़ेगी, लीजिंग महंगी होगी
  7. रियल एस्टेट के लिए जीएसटी की दरें मई में तय होंगी
  8. क्रूड, पेट्रोल, डीजल और एविएशन फ्यूल अभी जीएसटी के दायरे से बाहर

जीडीपी ग्रोथ को मिलेगी रफ्तार
दुनियाभर के इकोनॉमिस्ट के मुताबिक जीएसटी का सबसे ज्यादा फायदा भारत में ही देखने को मिलेगा। अमेरिकी बैंक गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक भारत में 100 अरब से ज्यादा कंज्यूमर हैं और इससे खपत में भारी बढ़ोतरी होगी। गोल्डमैन सैक्स का तो कहना है कि अगले बीस साल ग्रोथ की स्टोरी के आसपास भी कोई देश फटक नहीं पाएगा। वित्तमंत्री अरुण जेटली के मुताबिक जीएसटी लागू होने के दो साल के अंदर देश की जीडीपी ग्रोथ में करीब 2 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम के मुताबिक इस हिसाब से जीएसटी में दो साल की देरी करके बीजेपी ने देश को 12 लाख करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है।

इसके अलावा छोटी और मझोली इंडस्ट्री को भी फायदा होगा क्योंकि वे पूरे देश में कहीं भी अपना प्रोडक्ट बेच पाएंगी। हालांकि उन्हें बड़ी कंपनियों से कड़े मुकाबले की चुनौती भी होगी।

लॉजिस्टिक सेक्टर को सबसे ज्यादा फायदा
एक और सबसे बड़ा फायदा लॉजिस्टिक्स सेक्टर को होगा। अभी एक राज्य से दूसरे राज्य पहुंचने में ट्रकों को कई दिन राज्य की सीमाओं में दस्तावेज की चेकिंग में लग जाते हैं। लेकिन अब एक जगह से दूसरी जगह सामान पहुंचाने में लगने वाला वक्त आधा रह जाएगा। अभी वक्त और धन दोनों का भारी नुकसान होता है।

वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के दूसरे विकसित देशों के मुकाबले भारत में लॉजिस्टिक्स की लागत दो से तीन गुना ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लॉजिस्टिक्स की लागत जीडीपी का 13 फीसदी है, जबकि पश्चिमी देशों में ये 8 फीसदी है। लॉजिस्टिक इंडस्ट्री के अनुमान के मुताबिक अगले कुछ सालों में इसमें सालाना 15-20 फीसदी की रफ्तार से ग्रोथ होगी। इससे कमर्शियल वाहनों की इंडस्ट्री को नया जीवन मिल जाएगा।

मुनाफाखोरी करने वालों पर नकेल
जीएसटी में सबसे अहम बात शामिल की गई है मुनाफाखोरी पर लगाम। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम के मुताबिक जो कंपनियां जीएसटी की आड़ में मुनाफाखोरी करेंगी, उन पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है। जैसे पहले अगर अलग अलग टैक्स मिलाकर टूथपेस्ट पर 20 फीसदी टैक्स लगता है। 1 जुलाई से उस पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है तो कंपनियों को टैक्स में कमी का फायदा कंज्यूमर तक पहुंचाना होगा। जैसे टैक्स अगर बढ़ा तो कंपनियां उसका बोझ सीधे कंज्यूमर पर डाल देती हैं, उसी तरह टैक्स कम होगा तो उन्हें कीमतें कम करनी होंगी। इसलिए जीएसटी कानून में मुनाफाखोरी से निपटने का इंतजाम है। सुब्रमण्यम के मुताबिक इसका मकसद देश के लोगों को भरोसा दिलाना है कि जीएसटी की वजह से उनको नुकसान नहीं होगा।

लेकिन इंडस्ट्री को आशंका है कि इसकी आड़ में सरकारी अधिकारी उन्हें बेमतलब परेशान कर सकते हैं। टैक्स एक्सपर्ट के मुताबिक इससे सरकार का काम बढ़ेगा। उसे सबसे पहले हर प्रोडक्ट का जीएसटी के पहले और जीएसटी के बाद कीमत का चार्ट तैयार करना होगा।

जीएसटी के लिए कितने तैयार
जीएसटी की तमाम खूबियों के बावजूद सबके मन में सवाल यही है कि क्या जीएसटी के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार है? सरकार का यही दावा है, लेकिन जानकारों के मुताबिक कई कमजोर कड़ियां हैं, जो बड़ी परेशानी खड़ी कर सकती हैं। मसलन इंडस्ट्री खास तौर पर छोटे और मझोले उद्योगों के पास जरूरी आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं है। इसके साथ ही किस चीज पर किस दर से टैक्स लगेगा इसका ढांचा भी तैयार होना बाकी है और समय का पहिया तेजी से घूम रहा है। जैसे आॅस्ट्रेलिया में जीएसटी 2000 में लागू था, लेकिन सभी इंडस्ट्री को इसके एक साल पहले ही बता दिया गया था, ताकि तैयारी पूरी रहे।

भारत में अभी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो पाई है। जीएसटी सिस्टम के तहत सभी ट्रेडर और उद्योगों को टैक्स जमा करने, रिटर्न फाइल करने और रिफंड लेने के लिए जीएसटी नेटवर्क में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके बाद 5000 चीजों पर लगने वाले टैक्स के हिसाब से सॉफ्टवेयर अपडेट किया जाएगा। केयर के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस के मुताबिक सर्विस के रेट तय करना आसान है, लेकिन किसी प्रोडक्ट का रेट कई दूसरे फैक्टर्स पर भी निर्भर करता है। उन्होंने बताया, जैसे मलेशिया ने आधी अधूरी तैयारी के साथ 2015 में जीएसटी लागू कर दिया था, पूरी तैयारी न होने की वजह से मुनाफाखोरी रोकने का नियम बुरी तरह से फेल हो गया। जबकि आॅस्ट्रेलिया में तैयारी होने की वजह से कोई बड़ी दिक्कत नहीं हुई। वहां मुनाफाखोरी पर लगाम लगाने का नियम सफल रहा।

हालांकि सरकार इससे सहमत नहीं है। वित्तमंत्रालय के मुताबिक जीएसटी के लिए देश तैयार है। इससे टैक्स का दायरा बढ़ेगा और चोरी पर लगाम लगेगी। जीएसटी नेटवर्क के सीईओ प्रकाश कुमार का दावा है कि जुलाई से हर महीने 300 करोड़ से ज्यादा इनवॉयस सिस्टम में अपलोड होने लगेंगी।

सबसे अहम जीएसटी की दरें
दुनिया के ज्यादातर देशों में जीएसटी की सफलता की सबसे बड़ी वजह है टैक्स की कम और सिर्फ दो या तीन तरह की दरें। लेकिन भारत में टैक्स के 4 स्लैब तय किए गए हैं और अधिकतम दर 28 फीसदी है। जानकारों के मुताबिक 17 फीसदी से अधिक दर होने से लोगों को महंगाई का सामना करना पड़ सकता है। भारत की दरें एशियाई देशों के औसत 7.7 फीसदी के मुकाबले बहुत ज्यादा हैं। जीएसटी की दरें ज्यादा हुर्इं तो एक्सपोर्ट के मोर्चे पर भारतीय कंपनियों के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी क्योंकि दूसरे एशियाई देशों के मुकाबले उनका सामान महंगा हो जाएगा।

विकसित देशों में सबसे सस्ती दरें सिंगापुर की हैं जहां सिर्फ 7 फीसदी जीएसटी है। कनाडा में दरें 13 से 15 फीसदी के स्तर पर हैं। लेकिन यूरोपीय देशों में अधिकतम दर 25 फीसदी के आसपास है।

जीएसटी लागू होने से सबसे बड़ी चुनौती महंगाई होगी। जिन देशों में जीएसटी लागू किया गया है, वहां शुरुआती दो साल महंगाई में बढ़ोतरी हुई थी। लेकिन इसका फायदा दो साल बाद लोगों को मिलना शुरू हुआ जब टैक्स वसूली में बढ़ोतरी हुई, कारोबार करना आसान हुआ और सिस्टम से भ्रष्टाचार काफी हद तक कम हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी लागू करके एक और बड़ा जोखिम उठाया है, क्योंकि ज्यादातर देशों में जीएसटी लागू होने के बाद तत्कालीन सरकार चुनाव नहीं जीत पाई।

जीएसटी लागू होना इसलिए भी क्रांतिकारी कदम है क्योंकि यह बरसों से चले आ रहे इनडायरेक्ट टैक्स वसूली के तरीके को पूरी तरह बदल देगा।