उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी की पारिवारिक कलह के बीच भाजपा का दावा है कि उत्तर प्रदेश में संसदीय चुनावों की तरह इस बार भी जनता कमल खिलाने का मन बना चुकी है। दिल्ली में हुई भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से जुड़े किन अहम बिंदुओं पर मंथन हुआ, इस पर ओपिनियन पोस्ट के विशेष संवाददाता अभिषेक रंजन सिंह ने उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात की।

भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उत्तर प्रदेश चुनाव के मद्देनजर किन महत्वपूर्ण चुनावी रणनीतियों पर चर्चा हुई?
कार्यकारिणी की बैठक में केवल अगले चुनावों की रणनीतियों एवं तैयारियों पर ही चर्चा नहीं हुई है। जनता और देश हित से जुड़े कई उपयोगी बिंदुओं पर गहन विचार मंथन हुआ। भारतीय जनता पार्टी के लिए सभी राज्यों में होने वाले चुनाव महत्वपूर्ण हैं। इसलिए यह लाजिमी है कि पार्टी इसकी गंभीरता समझती है। वैसे, सभी पांच राज्यों के चुनाव में भाजपा को सफलता मिलेगी और पार्टी पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएगी। जनता की नजरों में भारतीय जनता पार्टी ही एकमात्र पार्टी है, जो देश में बेहतर शासन और विकास दे सकती है।

भारतीय जनता पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश में क्या चुनौतियां हैं, क्या आपको लगता है कि लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में भी कामयाबी मिलेगी?
उत्तर प्रदेश में भाजपा के समक्ष कोई चुनौती नहीं है। प्रदेश की जनता विकास पुरुष और वैश्विक नेता माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकास नीति से काफी खुश हैं। लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी की जीत तय है। आपको ज्ञात होगा कि लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की कुल 403 विधानसभा सीटों में से 328 पर पार्टी को जीत मिली थी। इस चुनाव में यह आंकड़ा और बढ़ेगा। राज्य की जनता परिवारवाद, व्यक्तिवाद और भ्रष्टाचार की राजनीति व सरकार से आजिज आ चुकी है। जनता अब भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में ऐसी सरकार बनाना चाहती है, जो उत्तर प्रदेश का सर्वांगीण विकास कर सके।

समाजवादी पार्टी में जारी घमासान भारतीय जनता पार्टी को किस हद चुनावी फायदा दिला सकता है?
उत्तर प्रदेश समेत देश में भारतीय जनता पार्टी की अपनी ताकत है। भाजपा किसी व्यक्ति और परिवार की पार्टी नहीं है। हमारी पार्टी का एक सामान्य कार्यकर्ता भी अपनी मेहनत, लगन और निष्ठा से पार्टी में उच्च पदों पर पहुंच सकता है। हमारे प्रधानमंत्री इसके उदाहरण हैं। समाजवादी पार्टी में जारी घमासान दल का नहीं, बल्कि परिवार का घमासान है। व्यक्ति और परिवार में घिर चुकी समाजवादी पार्टी में न केवल वर्चस्व बल्कि लूट का खजाना, जिसे समाजवादी पार्टी सरकार ने अंजाम दिया है उसके बंटवारे का झगड़ा है। जनता इसे देख भी रही है और समझ भी रही है। इस फेमिली ड्रामे से भाजपा का कोई मतलब नहीं है। हमारे कार्यकर्ता पूरी मेहनत से चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं और अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल सकारात्मक दिशा में कर रहे हैं।

अगर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन होता है और दोनों पार्टियों के मिलकर चुनाव लड़ने से क्या भारतीय जनता पार्टी को नुकसान हो सकता है?
भारतीय जनता पार्टी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कौन किसके साथ समझौता या गठबंधन करता है। जहां तक उत्तर प्रदेश की बात है तो फिलहाल समाजवादी पार्टी का झगड़ा सुलझ जाए, यही काफी है। कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में कोई नामलेवा और वजूद नहीं है। इतने बड़े राज्य में पार्टी को एक भी नेता नहीं मिला, जिसे वह अपना चेहरा बना सके। भारतीय जनता पार्टी की स्पष्ट और भारी बहुमत की सरकार उत्तर प्रदेश में बनेगी, इसमें कहीं कोई शक और संदेह नहीं है।

कई लोग अखिलेश यादव को एक प्रगतिशील और विकास पुरुष नेता के रूप में भी देखते हैं। उनके शासन में लखनऊ मेट्रो और एक्सप्रेस वे तक का निर्माण किया गया। आपका क्या कहना है?
उत्तर प्रदेश काफी बड़ा राज्य है। यहां की ज्यादातर आबादी गांवों में रहती है। उनके कल्याण के लिए मौजूदा सरकार ने कुछ नहीं किया है। सिर्फ मेट्रो और एक्सप्रेस वे बनाने से पूरे प्रदेश का भला नहीं हो सकता। वैसे भी एक्सप्रेस वे का उद्घाटन किस वजह और हड़बड़ी में किया गया, यह सभी लोगों को पता है। प्रदेश की जनता को एक बेहतर शासन और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार चाहिए, लेकिन समाजवादी पार्टी की सरकार में न केवल चौतरफा लूट हुई, बल्कि आपराधिक घटनाओं की बाढ़ आ गई इस शासन के दौरान। जनता उनकी कारस्तानियों को समझ गई है। चुनाव में जनता समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को सबक सिखाने के लिए तैयार है। इनके राजनीतिक कुकर्मों की सजा प्रदेश की जनता देने वाली है।

बहुजन समाज पार्टी भी पूरे दम-खम के साथ चुनावी समर में उतरेगी। बसपा प्रमुख मायावती लगभग सभी उम्मीदवारों की सूची जारी कर चुकी हैं। पार्टी का दावा है कि सूबे में उनकी ही सरकार बनेगी?
जहां एक तरफ सूबे की मौजूदा सरकार परिवारवादी पार्टी है, वहीं दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी एक व्यक्ति की पार्टी है। मैंने पहले भी कहा है कि उत्तर प्रदेश की जनता परिवारवाद और व्यक्तिवाद को कड़ा सबक सिखाने को तैयार है। लोकतंत्र में व्यक्तिवाद और भाई-भतीजावाद का कोई स्थान नहीं है। लोकसभा चुनाव में जनता ने बहुजन समाज पार्टी को पूरी तरह खारिज कर दिया। अस्सी लोकसभा सीटों में एक भी सीट नहीं मिलना यह बताने के लिए काफी है कि बसपा के बारे में जनता क्या सोचती है। पूर्व की बसपा सरकार में भ्रष्टाचार और अपराध का बोलबाला रहा है। लोगों के जेहन में अभी तक उनके शासन के बुरे अनुभव मौजूद हैं। टिकटों की खरीद-फरोख्त इस पार्टी का मुख्य काम है और यह किसी से छुपा भी नहीं है।

बसपा और भाजपा पहले भी मिलकर सरकार बना चुकी हैं। अगर समाजवादी पार्टी या कांग्रेस में गठबंधन होता है, तो क्या यह माना जाए कि दोबारा ऐसा संभव है?
भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी-मैं यह बात फिर दोहराता हूं। जिस पार्टी को लोकसभा चुनाव में जनता ने नकार दिया हो, उसकी राजनीतिक शक्ति का अंदाजा स्वत: लगाया जा सकता है। हमारी पार्टी के कार्यकर्ता पूरे मनोयोग से मेहनत कर रहे हैं और जनता का भरोसा भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति कायम है, इसलिए उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी भारी जनादेश के साथ सरकार बनाएगी।

उत्तर प्रदेश चुनाव समिति में कांग्रेस से भाजपा में आईं रीता बहुगुणा समेत कई लोगों का नाम शामिल है, लेकिन सांसद योगी आदित्यनाथ इस सूची से गायब हैं, इसके क्या मायने हैं?
भारतीय जनता पार्टी में सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं की अहमियत है। योगी आदित्यनाथ पार्टी के वरिष्ठ और सम्मानित नेता हैं। उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव या पूर्व चुनावों में उनकी बड़ी भूमिका रही है। इसलिए इसका कोई मायने नहीं है। इस बारे में कोई कयास नहीं लगाया जाना चाहिए। प्रदेश के चुनाव में उनकी बड़ी भूमिका है।

अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले सांसद साक्षी महाराज ने एक धर्म विशेष के प्रति टिप्पणी की है, क्या चुनावी फायदे के लिए इसे धुव्रीकरण की राजनीति माना जाए?
उन्होंने क्या बयान दिया है, इसे मैंने अभी तक सुना नहीं है। अगर उन्होंने कुछ कहा है, तो यह उनकी निजी राय हो सकती है। उनकी व्यक्तिगत राय भारतीय जनता पार्टी की राय नहीं हो सकती। भाजपा विकासवाद की राजनीति करती है, यही पार्टी के कार्यकर्ताओं का ध्येय और मूलमंत्र है।

अगर भाजपा की सरकार बनती है तो सरकार की प्राथमिकताएं क्या-क्या होंगी?
भारतीय जनता पार्टी का एक ही लक्ष्य है सबका साथ सबका विकास। केंद्र समेत जिन राज्यों में पार्टी की सरकार है, वहां इसी आदर्श वाक्य के साथ शासन अपना काम कर रहा है। भाजपा शासित राज्यों में विकास की रफ्तार देखी जा सकती है। माननीय प्रधानमंत्री देश के विकास के प्रति संकल्पबद्ध हैं, इसलिए उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद राज्य में विकास की एक नई धारा का सृजन होगा। पूर्व की सरकार में हुए घोटालों की जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

भाजपा अगर इस आत्मविश्वास के साथ है, तो उसने उत्तर प्रदेश में बतौर मुख्यमंत्री किसी की घोषणा क्यों नहीं की। क्या आप स्वयं को मुख्यमंत्री का दावेदार मानते हैं?
भारतीय जनता पार्टी का हर कार्यकर्ता मुख्यमंत्री का उम्मीदवार है। जहां तक मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा का सवाल है, तो हर राज्य में वहां की परिस्थितियों के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी नाम की घोषणा करती है। कई राज्यों में इस तरह के उदाहरण मौजूद हैं। पार्टी के लिए सबसे महत्वपूर्ण है चुनाव में अप्रत्याशित कामयाबी हासिल करना। मुख्यमंत्री कौन होगा यह फैसला पार्टी की संसदीय कमेटी करती है।